Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari
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॥ पण ओलख नहीं एक ने ॥ सु० म० || विद्या थी एक ही दिखेये ॥ वुण्य ॥ १२ ॥ कुँवरी कह्यो राय कान में | सु० म० ॥ राय होवो हुंशियार || पुण्य ॥ कहे दोमाथी एकी जणो ॥ सु० म० ॥ आवा मुज पास अवार ॥ पुण्य ॥ १३ ॥ मैं जाइ ऊभो राजाकने ॥ सु० म ॥ कांइ मोती छे तुम पास || पुण्य ॥ इम पूछयो मुज कानमें ॥ सु० म० ॥ कांई मैं करी तब अरदास || पुण्य || १४ || पहलां बंदोवस्त कीजिये ॥ सु० ॥ राजाजी ते नहीं आवे मुज पास ॥ g || तो हूं मोती देखाडस्यूं । सु० राजाजी || नहीं तो होवे मुज नाश ॥ ॥ १६ ॥ कीधो वदोवस्त तत्क्षणे ॥ सु० म ॥ भट सूराने बुलाय ॥ पु ॥ पकडा यों धूर्त भणी ॥ सु० म ॥ मुज लेगयो मेहल मांय ॥ पु ॥ १६ ॥ सूक्ष्म रूप खेचर करी ॥ सु० म ॥ भागी | गयो तेवार || पु ॥ हा हा कार सभा विषे ॥ सु० म ॥ मचियो तब अपार ॥ पुण्य ॥ १७ ॥ तब हर्ष्या सहज ॥ सु० म० ॥ साचो निवडयो कोण | पुण्य ॥ निर्णय करतां जाणियो । सु० म० ॥ मोती ले आया होण ॥ पुण्य ॥ १८ ॥ साचो जाण्यो ते झूटो भयो ॥ सु० म० ॥ साचो निकल्यो एह ॥ पुण्य ॥ इम सुण दौडी आविया ॥ सु० म० ॥ तत भ्रात धर नेह || पुण्य ॥ १९ ॥ राजा राणी खुशी हुवा || सु० म० || टलियो सघलो दुःख ॥ पुण्य | लग्न करण निश्चय कियो । सु० म० ॥ सहू सज्जन पाया सुख ॥ पुण्य ॥ २० ॥ मेहल दीयो एह रहणने ॥ सु० म० ॥ वली द्रव्य केइ क्रोड || पुण्य | हम सब आइ इनमें

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