________________
सु ॥ २२ ॥ इम समजाइ बहु विधे । ते गयो हो कोइ काम काज ॥ ढाल तीजी खन्ड सात की । कहे अमोलिक हो जोवो पुण्य का साज ॥ सु ॥ २३ ॥ ॥ दोहा ॥ सुणी वचन ते मीलका | चमक्यो चित मझार ॥ संकल्प विकल्प मन हुवो। जमे न एक विचार ॥ १ ॥ निश्चय कीनो मन थकी । मरणो छे एक वार ॥ धारी काज जे निकल्या । जीवता पाडो पार || २ || खाली तो हिवे मुज थकी । म्हारे घर न जवाय ॥ हिम्मते मदत दैव की । साची ए जनवाय || ३ || होणहार जे होवसी । करस्यूं बुद्धी उपाय ॥ इम चिंती शीघ्र चालियो । साहस घर बन मांय ॥ ४ ॥ आयो रेवा नद तटे । पेख्यो द्रष्ट लगाय ॥ मोटा परवत सरीखा । मयगंल टोला देखाय ॥ ५ ॥ * ॥ ढाल ४ थी ॥ मनडो मो ह्योजी महावीर श्वामी म्हाने दर्शन दइदो जी ॥ यह ॥ वीतक सुणजोजी मदनेश्वर महारो हो तब जो जो जी ॥ बतिक ॥ आं ॥ रेवातट एक वटवृक्ष बर | पहले किनारे | पेखीजी ॥ तीरी नीर आइ वडियो तिणपे । गहरो देखी जी ॥ बीत ॥ १ ॥ गज वृंद देख विचार करूं मन । कीजे किस्यो उपायो जी ॥ जो देखे कोइ फील मुजे तो । कालज आयो जी ॥ बीत || २ || कार्य म्हारो इणही वन में। फिरिया थी सिद्ध न थावे जी ॥ जीवती मूइ राजरी कन्या । द्रष्टी आवेजी ॥ बीत ॥ ३ ॥ वृक्ष घणा छे इण वन मांही । गया थी नहीं ओलखाह जी ॥ झड रूप हूं बणी चलूं तो । कारज थाइजी ॥ बीत ॥
M