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तट ७
गया हो किम हाथे आय ॥ सु ॥ १२॥ ते कहे उपाय सांभलो। जिम पकडा हो हम . म. श्रे.
ए गजराज ॥ जावां नही पेले कंठे । एले तीरे हो रही करा काज ॥ सु॥ १३ ॥ फील खड में सरीर थी अधिक त्या । खोदा हो एक उंडीखाड ॥ तेहने ऊपर पाथरा । फतलीचीमट १ हाथी २९ हो वंश तणीज फाड ॥ सु ॥ १४॥ चारो हरीयो तिण परे । लगाइ हो करां हथणीव
तैयार ॥ कागद तणी सुहामणी । उभी करां हो खाड पे ते वार ॥ सु ॥ १५॥ K] टोली आवे गज तणी । तिण नद पे हो जल पीवा काज ॥ केली करे बहविध तिहां ।
# एली तीरे हो देवे हम साज ॥ सु ॥ १६ ॥ कोइक गज मदमें छक्यो । ते जाणे हो परे || २ हथणी | कुंजेरी एह ॥ पडे आइ तिण ऊपरे । ते वाडमें हो पेठे तत्क्षेव ॥ सु॥ १७ ॥ एक
* पक्ष पडयो रहे । क्षुधा त्रषाय अति दुर्बल थाय ॥ तष हम नेडा जाइने । थोडो २ हो तसर र चारो चराय ॥ सु॥ १८ ॥ वस करां जोग उपाय थी। ते हमसे हो जब सेंदो थाय ॥ तव
आगल भू खोदने । हम कहाडा हो ते हम लारे आय ॥ सु ॥ १९॥ सांकल दंडथी बांधने |
। लावां हो इण ग्रामरे माय ॥ सेंदो करां सहू नर थकी । इक्षु दिक हो मधु अहार कराय 13॥ सु॥ २० ॥ जोगो होय ते पंचवा । जाइ वेंचा हो ले म माग्या दाम ॥ यह आजीविका
हम तणी। ते करवा हो किम हइ तुम हाम ॥ सु ॥ २१ ॥ हम चेतवां हित भणी । तिहां जावा हो मत करो उमंग ॥ इछा जो गज वैपारकी । तो रहीजे हो तुम म्हारे जी संग ॥