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। जाव जीव साथ ॥ ६ ॥ विनोद बात इमके करत । आगल वाल्या जाय ॥ विघ्न बीच में | उपजे । ते सुण जो चित लाय ॥ ७॥ ॥ ढाल ६ ठी ॥ सो वन सिंहासणरेवती ॥ यह ॥ जोवो कला कपटी तणी । सरल न समजे कायरे ॥ आखिर तो सत्य ही तीरे । सुण जो तेर चित लायरे ॥ जो ॥ ॥ तिण अवसर अंतरिक्ष में । जातो विद्याधर कोयरे ॥ नीचे जोय जाता हम भणी । हर्षित हियडे होयरे । जो ॥२॥ पुष्पवती जोइ मोहियो। हरण करण | लाग्यो लाररे | तेह भेद हम जाण्यो नहीं । होवे जेह होणहाररे ॥ जो ॥३॥ कुवरी कहे | उभा रहो । त्रषा लागी छे अपाररे ॥ कृपा करी जल पाइये ॥ जिम आवे चालण कराररे ॥ * जो ॥ ४ ॥ तरु तल तास बैठाय ने । हूं लेवा गयो नीररे ॥ ढूंकडो कहीं मिलियो नहीं। आगे ग यो सरवर तीररे ॥ जो ॥५॥ पाछे डाव रम्यो खेचरु । म्हारोह रूप बणायरे ॥ दौड आयो कुँवरी कने। जल पात्र कर सहायरे ॥ जो ॥ ६॥ घबराइ इम उच्चरे। जल्दी | वावरी चलो तोयरे ॥ रखे विघ्न कोइ ऊपजे । मै आयो जे जोयरे ॥ जो ॥ ७॥ कोइ देव दान व इहां । मुजसम रूप बगायरे ॥ लार लाग्यो थो ते माहेरे । हूं दौडी आयो इण* ठायरे ॥ जो ॥ ८॥ प्रोस्यो उदक शीघ्र कुँवरी । दो, चल्या तब दौडरे ॥ मै पण जोया से दुरथी । पायो आश्चर्य कुण जोडरे ॥ जो ॥९॥ आयो भागी जोया तेहने । व्यापियो अंगमा क्रोधरे ॥ अरे धुतारा तूं कोण छ । करे कार्य ए विरोध रे ॥ जो ॥ १० ॥ ज्युं जीया |
१ पाणी
२ पायो
३