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१ हाथी
Mail हुइ घावरी जी । भागी ले निज जीव ॥ साहस कुण करे वक्तपे जी । जब आवे अचिंती
रीव ॥ भ ॥ ६॥ कुंजर पुष्पवती गृही जी । तुर्त गयो निकल ॥ विजलीना भलकापरे जी । लागे नहीं एक पल ॥ भ ॥ ७॥ दंती गयो जब वेगलो जी। तब सहेल्या करे पुकार ॥ दौडो २ राजेश्वरूजी । दौडो सह परिवार ॥ भ ॥ ८ ॥ दौडो जौधा सूभटा जी । कांह अनर्थ मोटो थाय ॥ बाइसाबने गृही करी जी । ते मयंगल न्हाटो जाय ॥ भ ॥९॥ छोडा वे कुँवरी भणीजी । करो सूर वीर सहाय ॥ हा हा कार इभ सांभली जी। लोक घणा
विस्माय ॥ भ ॥ १० ॥ राजा राणी दोडिया जी। कांइ दोड्या मंत्री सांमत ॥ बहु जन || दोडी आविया जी । सहेल्या ने पूछत ॥ भ ॥ ११ ॥ रुदन करतीते भणे जी। कांइ स्यूं
पूछो मुज तांय ॥ हाथी ले भाग्यो वाइनेजी । लावो छुडाह जाय ॥ भ ॥ १२॥ सुणी घबराया सह जणा जी । दोड्या सुभट तत्काल ॥ किण दिसे गयो लेइने जी।चौकस
करे भूपाल ॥ भ ॥ १३ ॥ शस्त्र गृही घणा सूरमा जी । कांह भाग्या नाग ने लार || - हाथें नहीं ते आवियो जी । गयो गिरी गहन मझार ॥ भ ॥ १४ ॥ सह फिर पाछा
आविया जी । कहे नहीं आवे ते हाथ ॥ पतो न लागे किहां गयो जी । किसो करा हो नाथ ॥ भ ॥ १५ ॥ सुस्त हुई सहू पैठिया जी। राय राणी का झुरे नेण ॥ अहो लाडली तूं किहां गह जी । कांइ झूरे सहू सेण ॥ भ ॥ १६ ॥ हा देव यह किस्यो ,