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| अनुक्रमे सहु जिमाया । कुँवरी करी पुरस्कारीरे ॥ भा ॥ २२ ॥ बीजा जोगीने भेला | बैठाया । जिमाया कर मनवारीरे ॥ भा ॥ २३ ॥ तृप्त हुई सुखासने विराजा । तंबोल में | मन्योंग आरोग्यारीरे ॥ भा ॥ २४ ॥ ढाल एकादश तीजा खंडकी । ऋषि अमोल उच्चारीरे । || भा ॥ २५ ॥ ॥ दोहा । अपार भक्ती भावजो । हर्षा मदन अपार ॥ किण कारण ए| एवंडो । करे म्हारो सत्कार ॥ १ ॥ भाव भेद समजे नहीं । कांइक छे गूढ भेद ॥ ते जाणवा मदनने । जागी घणी उम्मेद ॥२॥ तेतले कन्या निवृत्ती । आवेठी मदन पास ॥ साता है सह बातरी । पूछे धरी हुल्लास ।। ३०॥ मदन कहे तुम जोगथी। पायो घणो |
आणंद ॥ हिवे उत्कंठा एतली । दाखो तुम संबन्ध ॥४॥ विनययुक्त कुवरी भणे । | इहवृत सुणो नाथ ॥ दया करी हम ऊपरे । सुखी करो सहू साथ ॥५॥ ढाल १२ मी॥
तारा प्रत्यक्ष मोहणी ॥ यह ॥ भवितव्यता भवी सांभलो ॥ दोष न किणरो देवाय हो । | मदनजी ॥ कृत्य कमाइ आपरी । सुख दुःख जगमें पाय हो ॥ मदनजी ॥ भव्य ॥ १॥ IN कर जोडी कुँवरी भणे । सुणी यों श्री मदनेश हो । म ॥ कहाणी हम करमा तणी।
जे भोगवां हम क्लेश हो ॥ म ॥ भय ॥ २॥ आनंदपुरवर नयर ए । श्री जसोधर नृपाल हो ॥ म ॥ श्रीमती राणी गुण भरी। धर्म कर्ममे खुशाल हो ॥ म ॥ भव्य ॥३॥ दत्त | सेण नामें कुंवरये । जोगी रूपे आप साथ हो ॥ म ॥ कनकावती मुज नाम छे । कन्या *