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॥ १३ ॥ जल मार्ग नावा जिम जावे । मांय जल न भरायजी ॥ माहे रहियों दुःख नहीं पाये ऐतो करो उपायजी ॥ हिवे ॥ १४ पद्म कहे अब्बी मैं वणाएं । देवशक्ति प्रभाव जी ॥ मोटो कष्ट लेइने बणावे ॥ तत्क्षण कृत उपावजी ॥ हिवे ॥ १५॥ पट जडनरी विध बताइ । दीनो मदनने संभलाय जी ॥ इच्छित देखी मदन हर्षाया। मन मानी वस्त पाय जी ॥ हिवे ॥ १६ ॥ खाती खातणरे पाय पणम्या । कहे मिलस्यूं पाछो आय जी ॥ हिवणां | काम उतावल को मुज । शीघ्र चल आगे जायजी ॥ हिवे ॥ १७ ॥ सैन्य पडावने स्थाने | आया । सुन्दरी भणी जगायजी ॥ चमकी ऊठी देख मदनेश्वर । आदर दे हर्षायजी ॥ हिवे ॥ १८ ॥ इण वेला किहां थी पधार्या । मदन कहे सुणो बात जी ॥ सहू उपाय करी हूं * आयो । तुम मावित्र घणा चहातजी ॥ हिवे ॥ १९ ॥ बैठो तुम अब्बी इण खंभ मांही।
देवू मैं नदी में वहायजी । तात तुमारा तीरे बैठा । कहाडी लेसी तुम तांय जी ॥ हिवे ॥ २०॥ पूछे तो कहजो देव हरी मुज । राखी घणी सुख मांय जी ॥ हूं सूती थी जागी इहां आइ। और न जाणूं कायजी ॥ हिवे ॥ २१ ॥ सहू विद्या भली पर समजाइ। दीदी खंभमें भ सोवायजी ॥ कुवरी खुश हुई देख करामात । कुरंब मिलणने उमायजी ॥ हिवे ॥ २२ ॥ खंभ भीडियो सन्धी रहित तब । सरिताने तट आयजी ॥ युक्ते वहाइ दियो ते तत्क्षणे | । अमोल ढाल सात गाया जी ॥ हिवे ॥ २३ ॥ ॐ ॥ दोहा ॥ कह्या प्रमाणे विधी जमी।