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म.श्रे.
खण्ड६
मदन कहे नरमाइने । जो तुमने दुःख होय हो ॥ सा तो मैं जीवित निष्फल गिगुं। निश्चय कीजे सोय हो ॥ सा ॥ २ ॥ कौण समर्थ छ विश्वमें । थाणो करवा | अकाज हो ॥ सा ॥ धैर्य धरो मनने विषे । सत्यथी मिले सुख साज हो ॥ सा ॥ भा ॥ ३॥ मैतो बचन पलट्यो नहीं । छे मुज पूरो ध्यान हो ॥ सा ॥ बिन अवसर आस्युं || नहीं ॥ एहथी महारी जवान ॥ सा ॥ भा ॥ ४॥ ए अवसर आवा तणो । जाणी आयो || | चलाय हो ॥ सा ॥ अण हूंती बात करूं नहीं । निश्चय धरो मन माय हो ॥ सा ॥ भा ॥ ५॥ मरी किम कहो तेहने । जे जग जीता जोय हो ॥ सा ॥ मार्या तो मरे नहीं । जस
आयु प्रबल होय हो ॥ सा ॥ भा ।। ६ ॥ आश्चर्य धर तलवर कहे । इम प्रकाशो केम हो | #॥ सा ॥ जे न्हांखी खाइ विषे । तेहने किम रहे खेम हो ॥ सा ॥ भा ॥७॥ मदन कहे ||
डेरा विषे । जाइ जोवो नेण हो ॥ सा ॥ जो मिले तुमे पुत्री राजरी । तो मान जो सत्य || वेण हो ॥ सा ॥ भा॥ ८ ॥ तलवर अति आश्चर्य धरी । जाइ तम्बू में जोय हो ॥ सा ॥
ओलखी राज कुँवरी भणी । हिवडे हर्षित होय हो । सा ॥ भा ॥ ९॥ प्रणमी कहे बाइ | #साब जी । खुशी छे आप तन हो ॥ सा ॥ निज कोटवालने औलखी । शरमाइ ते मन हो
॥ सा ॥ भा ॥ १० ॥ तलवर कहे धन्य आपने । छो जी महाबुद्धिवंत हो ॥ सा ॥ पोतेही | परिक्षा करी । किया कंत पुण्यवंत हो ॥ सा ॥ भा ॥ ११ ॥ एतो रीत अनादिकी । पती।