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ते आसी दिन ऊगानी ॥ तटनी तटपर जाइ बैठो । जो वो निघा लगानी । जिण दिशथी * आवे पानी ॥ म ॥ २३ ॥ काष्ट स्थंभ एक वहतो आसी । लाल ध्वजा फरकानी ॥ तिण |
माहे से कुँवरी निकलसी । इम कही वणियां ध्यानी ॥ बोलाया बोले न वानी ॥ म ॥ २४ | || कर वंदन राय आणंद धरता । आया निज ठिकानी ॥ परशंस्या अति करे जोगीकी ॥ १९॥ षट खन्ड ढाल षटम्यानी । ऋषि अमोल बखानी । म ॥ २५ ॥ * ॥ दोहा ॥ नृप राणी में में वाणी णी । हा मन अपार ।। धन्य २ ब्रह्मचारी जी । ज्ञानी गुणी सुखकार ॥१॥ मांस धणा बीती गया । प्यारी तनुजा बीजोग ॥ तेहतो अब मिलावसी । ब्रह्मचारी,
संयोग ॥ २ ॥ हाहा धन्य दिवस यह । इम मन अति उमंगाय ॥क्षण जावे वर्षा समी। र खान पान विसराय ॥ ३ ॥ अप्रमादी सुभटने । नदी कंठ बैठाय ॥ सावध रही जोता |
रहो । रक्तध्वज स्थंभ आय ॥ ४ ॥ निकाली तत्क्षण लइ । दीजो बधाइ मुज ॥ दारिद्र | २ दूरा करी । देस्यूं द्रव्य बहु तुज ॥५॥ ॥ ढाल ७ मी ॥ श्री अभिनंदन दुःख निकंदन
॥ यह ॥ हिवे मदनजी निशा पड्याथी । कोइ पास नहीं जोयजी ॥ मंत्र साधन को | मिस्स करीने । पुरमें गुप्त चल्या सोय जी ॥ हिवे ।१॥ सागे भदनको रूप बनाइ । - पद्म खाती घर आयजी ॥ खाती खातणने पगे लागी । पोतानो नाम जणाय जी ॥ हिवे
॥२॥ अचानक मदनने जोइ । दंपती आश्चर्य पायजी ॥ प्रेमें उभराइ गोदे बैठायो ।