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१ बचन
Kish
सहू जन सुख पाया । मौत्सव अधिक मंडाये हो | म ॥ १८ ॥ शुभ लग्ने गुण सुन्दरी बाइ । मदन भणी परणाये ॥ डायचो घणो दियो भूपती । द्रव्य खूब खरचाये हो । म ॥ १९ ॥ अच्छो महल दियो रहणेंको। वहां सब सुख जमाये ॥ पद्म खातीको लिया बुलाइ | वो भी देख विस्माये हों ॥ म ॥ २० ॥ पंच इन्द्रीके सुख भोगवे । सुखें २ इहां रहाये || ढाल दशमी खन्ड छट्टे की । ऋषि अमोलिक गाये हो | म ॥ २९ ते ॥ * ॥ दोहा ॥ धन्नाशाहा सुणी वारता । परण्या राजकुँवार ॥ रंभा मंज्जरीने कह्यो । सुण हर्षो अपार ॥ १ ॥ शरमी कर जोडी भणे । आप ले चालो साथ || कोइ युक्ती योजी करी मिलावो मुज नाथ || २ || घन्ना कहे चालो हिवे । करस्युं शक्ते सहाय ॥ अंगीकार करसी पती । कही ब्रह्मचारी वाये ॥ ३ ॥ अंजन मंजन कर सज्या । तन सोले श्रृंगार ॥ धन्नाशाहा साधे चाली । शिविका हुई सवार ॥ ४ ॥ खास मेहल मदन तणो । आयाति | चाल || गुणसुन्दरी वृतांत सुण । अचंभी हुइ खुशाल ॥ ५ ॥ ॥ ढाल ११ मी ॥ छे संवर का ॥ श्रीवीर जिनेश्वर गौतमने कहे ॥ यह ॥ मदन बुलायाजी, शीघ्रते आविया ॥ देखी त्रियानेजी, आश्चर्य पाविया ॥ चाल ॥ पाइ आश्चर्य पूछे सेठसे । किणरी नार किम लाविया ॥ कारण कांइ सत्य भाखो । किस्यो तुम मन चाविया ॥ सेठ कहे ए आप पत्नी । अन्य चैमन आणिये ॥ निर्दोष बाला सरण दीजे । ज्यूनो प्रेम पेछाणिये ॥ १ ॥ तब ते