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मदन जी चिंतवे । हूं थेठो इहां मोजरे माय तो॥ काम घणो अजु माहेरे । न चिंता रयां ते सिद्ध किम थाय तो ॥ ए ॥१॥ इहां थी आगे हिवे चालवो । इम चिंतवी संदरीने चेताय तो॥ तुम सुखमें रहजो इहां ॥ हूं आगे जावू करवा उपाय तो ॥ ए॥ २ ॥ सुन्दरी कहे हुं संग चलूं ॥ जोवस्युं तुम किसी करो करामात तो ॥ मदन कहे अवसर नहीं। शाणा हुइने मानो जरा बात तो ॥ ए॥३॥ किण रीते काम सिद्ध हुये । पहलांथी ते नहीं कहवाय तो ॥ सर्व इच्छित हुयां माहेरा ॥ देस्युं वीगते |
सहु संभलाय तों ॥ ए॥४॥ इम बहुविध समजायने । आविया ते भूधवने पास तो॥ K आदर दियो घणो रायजी ॥ मधुर वचन पूछे कीजिये आस तो ॥ए ॥५॥ हुकम प्रमाणे
हम करां। आपथी नहीं जरा दूसरी बात तो ॥ मदन कहे कृपा आपकी । आप र प्रशाद सहू हुवे मुज चहात तो॥ ए॥६॥ इहां थी आगे जावा तणी । इच्छा म्हारी
थइ नृपाल तो॥ आज्ञा दीजिये मुज भणी । मिलवो छे मुज फुटंब ने हाल तो M॥ ए॥७॥ राय आश्चर्य धरी कहे । काइ दुःखथी आयो देश याद तो ॥ ते शीघ्र
फरमाइये । निश्चयमें मेटस्या विखवाद तो॥ ए॥ ८॥ मदन कहे किंचित दुःख नहीं । काम घणा मुज करणा जरूर तों ॥ ते करी पाछो आवस्युं । हाजर छंहूं हुकम हजूर तो ॥॥९॥ राय कहे सुख जिम करो। फोज लेजावो लागे जित्ती साथ तो ॥ पहला की