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सेनाणी जोइ जहार ॥ च ॥ ४ ॥ पेठता अगड विषेजी । देववाणी इम होय ॥ मत पेशो इण कूपमें जी | पहलां चेतावूं तोय ॥ च ॥ ५ ॥ आश्चर्य पाह मदन तिहांजी ॥ चौबाजू जोवे तत्काल । कोइ दृष्टी आयो नहीं जी । तब चाल्या पातील ॥ च ॥ ६ ॥ पुनरपि शब्द इशो हुयो जी। नहीं माने मुज वेण ॥ मत पेसे इण कूपमेजी । जो तूं वांछे चेन ॥ च ॥ ७ ॥ मदन सुण्यो असुण्यो करीजी । शीघ्र उतयों कूपमांय ॥ देव उछाली तत्क्षणे जी । बाहिर दीघो ढाय ॥ च ॥ ८ ॥ आश्चर्य पाया अतिघणोजी । हुइ बैठा सावधान । कहे कुण तुम प्रगट हुवोजी । दाखूं मुज बयान ॥ च ॥ ९ ॥ छिप्या तुम किण कारणे जी । मुज बालकथी डर । इम डरायां मैं ना डरूं जी । प्रगटो झट मेहर कर ॥ च ॥ १० ॥ क्षणभर रहा जोह तेहनी जी । उत्तर न आप्यो कोय । तब मदन सावध हुवाजी । तूंबो लीधो सोय ॥ च ॥ ११ ॥ पुनरपि चाल्या कूपमेंजी ॥ पुनरपि हुइ इम वाण ॥ वीती तोइ समजे नहींरे || नहीं माने मुज काण ॥ च ॥ १२ ॥ मदन कहे इमना कह्या जी । नहीं मानूं मैं बात ॥ ना कहो कि कारणे जी । कहो होइ साक्षात् ॥ च ॥ १३ ॥ इम कही कूपमें चालियाजी । देवने आइ रीस ॥ उठाइ न्हाख्यो वाहिरे जी । पूगी नहीं जगीस ॥ च ॥ १४ ॥ मदन सावध हुइ कहे जी । इम करणों नही जोग || तुच्छ वस्तु जल सारिखीजी । किम नहीं करवा दो
१ कुये में