________________
खण्ड
में सहु कार्य सिद्ध करी आस्युं । विलंबन करस्यूं लगारो ॥ थोडामें समजो इम शाणी । 1 अवसर येहीज सारो ॥ देखो ॥५॥ सा कहे ठीक आए फरमाइ । हूं नहीं कहूं नाकार #रो ॥ वचनानुसार दर्श वेगो दीजो । कार्य सिद्ध करो थारो ॥ देखो ॥ ६ ॥ त्रिया *
समजाइ सभा में आइ। बोलाइ राजकुँवारो ॥ तिणसे कहे ए राज संभालो। सुख थी प्रजापालो ॥ देखो ॥ ७॥ ते आश्चर्य घर कहे नरमाइ । किम ए बचन उचारो ॥ आप कृपा ए सब सुख मुजने । अवरन चाहा लगारो ॥ देखो ॥८॥ मदन कहे स्वदेशे सिधा । जरुरी काम हमारो ॥ ते करी हूं पाछो आस्युं । तिहां सुधी राज संभारो ॥ देखो ॥ ९ ॥ कुंवर कहे हुकम सीस चडावू । करो वंदोवस्त सारो ॥ मदन कानून ||
बांध्यो तत्क्षण । भोलाव्यो कार भारो ॥ देखो ॥ १०॥ फिर मिलिया अंगजने के। 19 रह जो सुख मझारो ।। गुरु महाराजकी सेवा कर जो। नित्य हकम सिरधारी ॥ देखो *॥ ११ ॥ ते कहे आज उधारा क्यों बोलो । केवोनी गुन्हो हमारो ॥ मुशाफरीना मजा
| लूटवा । किहां इकेला पधारो ॥ देखो ॥ १२ ॥ मदन कहे इसोमत समजा । आपसे | १ दुजापण
अद्वैत न धारो ॥ काम जरूरको करणो म्हारे । जे मेल आयो हूं लारो ॥ देखो ॥ १३ ॥
नहीं छोडीने जातो तुमने । पण नहीं तुमसा हूंशारो ॥ गुरु भक्ती राज वंदोवस्ती । # कर सो तुम श्रेय कारो॥ देखो ॥ १४ ॥ तस समजाइ जोगी पास आया । कियो