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सुण क्रोध समायो । वीती बात विसार ॥ च ॥ १२ ॥ खा पी राते जाइ सूता । हुयो नींद मझार ॥ च ॥ १३ ॥ पाछली थोडी रात रही जब । सुणी मैं किलकार ॥ च ॥ १४ ॥ दौडो २ रे मुजने छोडावो । मारे मुज भरतार ॥ च ॥ १५ ॥ दचकी उठ्यो मैं तब जोयो । देखूं तो मुज नार ॥ च ॥ १६ ॥ मैं तस पूछयो क्यों तूं चिल्लावे । कुण तुज दुःख देनार ॥ च ॥ १७ ॥ ते मुज गाल्या देवा लागी । अरे दुष्ट अविचार ॥ च ॥ १८ ॥ महारी नाक ते नींद में कापी । भोलो वणे इणवार ॥ च ॥ १९ ॥ तब अती मैं आश्चर्य पायो । घ्राण न जोयो तस ठार || च ॥ २० ॥ कुण काट्यो नाक घरमें आइ | गुंग्यो मैं भर्म मझार ॥ च ॥ २१ ॥ तेतले मुज सयन घर बारे । लोक आ जम्या अपार ॥ च ॥ २२ ॥ सासु सुसरा मांये आया । तेकिमाड उखाड ॥ च ॥ २३ ॥ असुरन्त हो मुजने पकड्यो । देवा लाग्या मार || च ॥ २४ ॥ कुंदी खूब करी तिहां महारी । लाया सिपाइ सिरकार || च ॥ २५ ॥ नकटी नाक सहने देखाडे । सहू रह्या सत्य धार ॥ च ॥ २६ ॥ मुज बान्धी आया राज पासे । न्टप कोप्यो घर क्षार ॥ ज ॥ २७ ॥ काल दूजाने शिक्षा दिलाइ । आज थे कियो अनाचार ॥ च ॥ २८ ॥ म्हारो बोल्यो कान घरे नहीं । दियो हुकम पुकार ॥ च ॥ २९ ॥ जावो एने सूली चडावो । एमोटो गुन्हे गार ॥ च ॥ ३० ॥ विन इन्साफ मुज बान्ध ले जावे । किस्यो करूं हूं लाचार ॥ च ॥