________________
१ गाडियों
थायो । साज दे शक्ती प्रमाणे । काल ते थासी रवाने ॥ संग ॥ १२॥ सुण बहुनर साथे थावे । साकट में माल भरावे । तब पिता सीख फरमावे । धार जो बेटा हित | लाइ । सुखे ज्यों पाछो घर आइ ॥ संग ॥ १३ ॥ संतोष खरो मित्र जाणो । शील औषध |
छे सुख दानो । नरमाइ माता मानो । सत्य छे सहू स्थान साखी । मधुरता पूंजी अखूट भाखी ॥ संग ॥ १४ ।। सहुसे हिल मिल रहीजे । परनारीपे दृष्टि न दीजे । पर धनकी इछा नहीं कीजे । हुंशिरी से रहो सदाइ । वेगा आवजो सब भाइ ॥ संग ॥ १५ ॥ बहु, मुनीम गुमास्ता दीधा । नौकरभी बहु संग लीधा । भोलवण दी बहुविधा । सिन्धू कंठ लग पहोंचाइ ॥ वाहण आछो सजवाइ ॥ संग ॥ १६॥ शुभ मुहूर्ते चालू थइय।। सजन फिर घर सब गइया । वाहण नीरमें वहिया ॥ सुखे श्रीपुरम चलि आया ॥ शहर छटा देख हर्षाया ॥ संग ॥ १७ ॥ तज वाहण गाडा सजाया। बहुमाल तिणमें भराया । दाणीका दाण चुकाया । फिर सहू आया शहर मांह ॥ भाडे जगा मौकाकी गहाइ ॥ संग ॥ १८ ॥ हाट रंगीली जमाह । शोभित वस्तु शोभाई । सहू जुदा २ तिहां रहाइ ॥ करे वैपार मदछोडी ॥ धन कमावा चित जोडी ॥ ॥ १९ ॥ लाभ देवं प्रमाणे उपावे । संतोष तेहीमें पावे । संकोचे काम चलावे । धर्म पण करे वक्त पाइ ॥ इम सुखे काल गमाइ ॥ सं ॥ २० ॥ नीती छे सदा सुख,
२ तगदीर