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उतरीयारे । स परिवार ते वार हो ॥ म॥ पुण्य ॥ ११ ॥ औलखी मदन ए लाणधीरे ॥ उभा हुया तत्काल हो ॥ म ॥ १२ ॥ प्रणम्यां जसोधर रापनेरे । राय पण कियो प्रणाम हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ १३ ॥ सहूजन प्रण में अदननेरे । जाणी उपकारी ताम हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ १४ ॥ तुम प्रशादे पामियारे । हम सहू घर सुख जोग हो । म ॥ पुण्य ॥ |१५॥ मदन जी नमन सहू थी कियारे । दियो सत्कार यथायोग्य हो ॥ म ॥ पुण्य ॥१६॥ * ऊंचेश्वर मदन कहेरे । सुणियो साराही साथ हो | म ॥ पुण्य ॥ १७ ॥ हूंतो कांइ करी।
नहीं सक्योरे । सहू प्रताप गुरु नाथ हो । म ॥ पुण्य ॥ १८ ॥ लालच थी दुःख पावियारे । ॥ जे सुरी दियो मुक्ताहार हो । म ॥ पुण्य ॥ १९ ॥ ठूट्यो सन्धायो पटवाकने हो ॥ कही नृप लाख दीनार हो। म ॥ पुण्य ॥ २०॥ ते तस नहीं दी राजवीरे । कियो कुटम्बा
अपमान हो । म ॥ पुण्य ॥ २१ ॥ ते पटवा हुवा देवतारे । कोप्या जोइ अत्याचार हो । शाम ॥ पुण्य ॥ २२ ॥ तिण थी सहूने दुःखी कियारे । अमर दोष नहीं कोय हो ॥ म ॥
पुण्य ॥ २३ ॥ हिवे इसो करजो मतीरे । जिम फिर दुःख नहीं होए हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ २४ ॥ प्रणमो गुरु अने देवनेरे । क्षमावो सहू अपराध हो । म ॥ पुण्य ॥ २५॥ यांकी कृपासे आंपा सहू जी । पाया अक्षय समाध हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ २६॥ राजादिक सहू नम्यारे । पहला जोगीका पाय हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ २७ ॥ फिर पग लाग्या देवनेरे । निज
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