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* लोक ॥ राते नयर वसावसी । करसी मदन सहु थोक ॥१॥ चटपटि लागी चितमें। KI हुइ छे मासी ज्युं रात ॥ सहु साज सजी रह्या । चाला हुयां प्रभात ॥२॥ ते तले तो
रवी उगियो । मिलियो सारो साथ ॥ शीघ्र आइ ऊभा रह्या । जिहां अछे नर नाथ, ||॥३॥ वैठ विमाणे चालीया । आया नयर नजीक ॥ बाजिंत्र बहु शब्द सांभली । लागी |
मनमां पीक ॥ ४ ॥ जोयो सहु नगर भर्यो । देव रूपे, नर नार ॥ चिंते आइ सुर | वस्या । किस्यो भयौँ ए प्रकार ॥५॥ ॥ ढाल १० मी ॥ सासण देवत आवोनी हमारे घर पावणां ।। यह ॥ व्योममें रही विचारियोरे । यो छे देव चरित्र हो ॥ मदनेश्वर ।। पुण्यवंता जग शोभतारे लाल ॥१॥ मदनजी इहां होसी सहीरे । करे छे तस मनहार
हो मदनेश्वर ॥ पुण्य ॥ २ ॥ कनकावती कन्या भणीरे । देइ कुँवरने लार हो ॥म ॥ र पुण्य ॥ ३ ॥ भेजे जोवण कारणेरे । किम होह रखा जयकार हो ॥ म ॥ पुण्य ॥४॥
ऊंचा रहीने पेखियारे । राजसभाने मझार हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ ५ ॥ राज | सिंहासण ऊपरेरे । बैठा मदन सिरदार हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ ६ ॥ जय २ करे सहू देवतारे। देखाड्यो नृपने तेह हो ॥ म || पुण्य ॥ ७॥ जाण्यो मदन समजावियोरे । जाग्यो देवको नेह, हो ॥ म ॥ पुण्य ॥ ८ ॥ राजासण दियो मदननेरे । टलियो सहू संदेह हो ॥ म॥ पुण्य ॥ ९॥ मंगल गाती किन्नरीरे । नर करता जयकार हो । म ॥१०॥ राय आंगणमा
ARATARAINIK
२ भाकाश
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