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१ धोबीका कुत्ता
कुँवरी सत्य जाण्यो सह्न रे । करे अती पश्चाताप रे ॥ थारो अवगुण इणमें नहीं रे । | म्हारा प्रगट्या पापरे ॥ जो ॥ २० ॥ चौरी करी मैं मात तातनीरे । तेहथी पामी ए. दुःखरे ॥ रजक श्वान जिसी थारे । क्रिणने देखांडू मुखरे ॥जो ॥२१॥ रात होती तो पाछी जावतीरे ॥ हिवे तो नहीं जवायरे ॥ किस्यो लिख्यो छे मुज दैवमेंरे । भोगवू ते हिवे , हायरे ॥ जो ॥ २२ ॥ इत्यादी ॥ आरत करेरे । गुणसुन्दरी ते वाररे ॥ बीजा खंड की || पांचमीरे । अमोल ढाल उच्चाररे॥जो॥ २३ ॥ ॥दोहा॥ गुण सुन्दरी चित चिंतवे। | इहां रोयां स्यूं थाय ॥ ए मूर्ख शिर शेवरो । दुःख सुख समजे नाय ॥ १ ॥ गहर वक्त आवे नहीं । करूं आगे को उपाय ॥ नशीवे मूख्यों लिख्यो । मोहन क्यां थी आय ॥२॥ धिक् २ महारी बुद्धिमे । धिक् २ मुज अवतार || छूट्यो राज सज्जन सहू। हुई हूं तो निराधार ॥ ३ ॥ हिबे किणहीक ग्राम में । एकांत स्थानक जोय ॥ रही | जिंदगी पूरी करूं ॥ण आधारे मोय ॥ ४॥ इम निश्चय करने कहे । चाल जिहां तुज मन ॥ कृत्य कर्म फल भोगवी । इमहीज होसी मरन ॥५॥ ढाल ६ ठी ॥ बडे घर ताल लागीरे ॥ यह ॥ सुणो भाइ मदन कहानी जी ॥ कलावंत गुणकी खानी जी ॥ आं॥ चालतां २ आवियो जी । पुर पयठाण सुस्थान । गढ मढ मेहल थी शोभतो जी।। मनोहर अइठाण ॥ सु॥१॥ शुभ मुहूर्त तिहां पेसियाजी । रायकन्या शरमाय ॥