________________
म. श्रे.
४३
आदर करूं । सुकन यह श्रेकार ॥ ३ ॥ जीमी ने तृप्त हुइ । कुँवरी लेवा काम ॥ आया | गुफाने बारणे । सिलपट नेडा जाम ॥४॥ लंबा कर करवा लग्या। मत २ शडू सुणाय ॐ॥ चमकी कर पाछो लियो । जोताको न जणाय ॥५॥ ढाल ४ थी ॥ चार पहेर को दिन होवेरे लाल ॥ यह ॥ फिर तिहां छातथी बोलियोरे लाल । भले पधार्या मदने शहो। जवैरी ॥ मार्ग जोतां तुम तणोरे लाल । वीत्या घणा दिनेश हो । जरी ॥१॥ काज विचारी कीजियेरे लाल ॥ ७ ॥ देखी पहला निज जोर हो । जवैरी ॥ तो सगलो सिद्ध थावसीरे लाल । नहीं तो बधसी और हो ॥ ज ॥ का ॥२॥ चमकी मदन जोव 2 ऊपरे लाल । बहु रंग पोपट देख हो ॥ ज ॥ बैठो छे पीजरा विषरे लाल । रूपवंत सो विशेष हो ॥ ज ।। का ॥ ३ ॥ मुजने किम ए ओलखेरे लाल । किम बोले नर भाषहो । ज ॥ पूछीने निर्णय करुरे लाल । छेपशू के नर खास हो ॥ का ॥ ४ ॥ पड्या देख || विचारमेरे लाल । फिर तोतो कहे एम हो ॥ज ॥ उतावल करसि तुमरे लाल ॥ तो थासो मुज जेम ॥ ज ॥ का ॥ ५॥ मदन कहे तुम कौन छोरे लाल ॥ किम हुया छो |
कीर हो ॥ ज ॥ ना किम कहो पट खोलतारे लाल । किम ओलखोमुज वीर हो ॥ ज ॥ का व॥६॥ कीर कहे पुर पहठाणनो रे लाल । दुरजय पूत भद्रसेण हो ॥ ज । बीडो फिर्यो कुँवरी लाणकोरे लाल । मैं ते जोयो नेण हो ॥ ज ।। का ॥७॥ तुम तिहां
१ तोता