________________
जेफली निज जवान ॥५॥ ढाल १० मी॥ तंहीर याद प्रभू आवेरे दर्द में ॥ यह ॥ मदन म. श्रे. कुंवरजी पुण्य का दरिया । निर्मल वुद्धिसे यशः विस्तरिया ॥ ७॥ पूरी मंडले नृप
खंड सभा भराइ । सचिब सामंत सहू भेला करिया ॥ म ॥ १॥ सभा मंडपे अच्छा विछोणा बिछाया । और ठाठ पाट सह श्रृंगारिया ॥म ॥२॥ सह सुणी उमाया झट पट | आया। आज किसे काम दरबार भरिया ॥ म ॥ ३ ॥ यथायोग्य बैठा आसण आइ
नृपती शोभे ज्यूं सिंह केसरिया ॥ म ॥ ४ ॥ देवसभासम ते रही दीपी । राज बल तेज १ शत्रू
जो अरी जाय डरिया ॥ म ॥५॥ मोटा सन्मान थी मदन बुलाया। सामा भेज्या | २ हाथी
हय घेवरिया ॥ म ॥ ६ ॥ठाट पाट जाइ लाया जवैरी तांइ । ते पण आया हर्ष Pउरभरिया ॥ म ॥ ७॥ नृपादि सहू आदर दीधी । नम्र वयणे अति सत्कारिया ॥ म ॥
॥ ८॥ पोताने पास नृप मदन बैठावे । न बैठे जवैरी उभा नमी ठराया ॥म ॥९॥ राय कहे म्हारे तीन सौ प्रधानो। पण इणसम नहीं एक अवतरीया ॥ म ॥ १० ॥ तिण कारण ए तीन सौ ऊपर । प्रधानपदका दीधा जरीया ॥ म ॥ ११॥ मोहर स्मरपी ऊपर बैठाया। रायजी हकममें मदन अनुसरीया ॥म ॥ १२॥ मदन के जोगो । पण हिवे किम जावे ना उचरीया ॥ म ॥ १३ ॥ जैसा बढाया वैसाही चडाया। 1.निभालेसी नृप होइ मुज दरीया ॥ म ॥ १४ ॥ नमन करी बैठा सचिष आसने । सजन
घोडे