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१ जंगल
२ पशु ३ पक्षी
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कतार में जाय । पन्थ विनाही ते दिशानुसारथी जी । जोता पन्थ क्रमाय ॥ म ॥ ३ ॥ पहाड खाड तिहां मोटा आवियाजी । द्रुम दर महीतल सर्व ॥ कुश काँटाने तीक्षण काँकरा जी । लागे तन तीक्ष पर्व ॥ म ॥ ४ ॥ उतंग चडीने ते नीचा आवता जी । जोता गुफा झाडी मांय ॥ वनचर खेचर क्षुद्री जीवडा जी । बहुला दृष्टि जी आय ॥ म ॥ ४ ॥ आगल चौगान वन रलिया मणो जी । सुन्दर वृक्ष उतंग ॥ ताल तमाल न आंबू जांबू वाजी । दाडिम लिंबू सू चंग ॥ म ॥ ६ ॥ रायण केला सेंतूतने आम लीजी । सहू भरिया फल फूल || गेहरी सुखदा शीतल छांयडीजी । लागे मन अनुकूल ॥ म ॥ ॥ ७ ॥ धराजडी छे पंच रंग पहाण में जी । केइ आसण आकार | मध्य पुष्करणी बावी शोभती जी । मकराणामें ते सार ॥ म ॥ ८ ॥ निर्मळ नीर स्फटिक समजिहां भरयो जी । कुमुदिनी चौफेर ॥ मध्य कमल बहु पद्मने पुंडरीकाजी । बहु रंग दीपे छे । लेहर | म ॥ ९ ॥ साताकारी ठाम ते जाणने जी । दंड कमंडल ठाय ॥ थाक उतारण | तिहां मज्जन कियो जी । तुर्त ते वाहिर आय ॥ म ॥ १० ॥ वस्त्र धोइ सुकाइ | पेहरिया जी । फिर कर तिणहीज स्थान || मीठा पाका निरोगा फल लियाजी । ते पुष्करणीपे आन ॥ म ॥ ११ ॥ रूचता भोगवी जल आरोगियोजी । पाजे बैठा मन रंग ॥ चिंते इण वने ए किम नीपनाजी । वावी वृक्ष सूरंग ॥ म ॥ १२ ॥ झाडी झूडी
४ बावडी