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में यरे ॥ जो ॥९॥ कुवरी कहे रोवू तुज भणी रे । किम लाग्यो मुज लाररे ॥ दगो करी में
खण्ड २ किहां चल्यो रे। बोल्यो न पहली गवाररे ॥ जो ॥१०॥ ते कहे दगो सगो नहींरे ।
मैं दुःखियो अपार रे ॥ मैं लार नके नहीं लग्यो रे ॥ सुणो वीत्या समाचार रेजे *॥ १९ ॥ तुम मुज काले दिन छतारे ॥ सीख दीवी घर जाणरे ।। मुज घर ना पूछो ।
सजनारे । मैं कह्यो कहाड्यो मुज हाण रे ॥ जा ॥ १२॥ सहू लडवा लाग्या मुज थकी रे FR|| कह्यो मुज मूढ शिरदार रे ॥ कोइ स्थान टिके नहीरे । जाव तिहां दे कहाडरे ॥ जो
॥ १३ ॥ कमावा ने कोडी नहीं रे । खावा दौडी आयरे ॥ मुफत में माल आवे नहींरे । निकली इहां थी क्योंनी जाय रे ॥ जो ॥ १४ ॥ कूटी कहाड्यो घर बाहिरे रे ॥ मैं करतो || आर्त ध्यानरे ॥ कालीदेवी देवालयरे । सूतो जो एकांत ठाणरे ॥ जो ॥ १५ ॥ फिकर थी| नींद आइ नहीं जी । जितरे थे आया तिण जागरे ॥ बोली मैं थाणी ओल-132
खीरे । पायो सुख अथागरे ॥ जो ॥ १६ ॥ मैं जाण्यो बुलावा आविया रे । उठ आयो । a तुम पास रे ॥ तुम हुकुमें अश्वे चड्यो रे। साथ हुयो धर हुल्लास रे ॥ जो ॥ १७ ॥ 5 अन्धारामें सूज्यो नहीं रे । तिण थी आयो इहां चाल रे ॥ तुम बड बड्या खाटी छाछ | |ज्यूरे । म नहीं समज्यो सवाल रे ॥ जो ॥१८॥ तो उत्तर किस्यो देवूरे। मैं जाण्यो चितारे अभ्यास रे ॥ महारो दगो पीठो किस्यो रे ॥ ते तो करो प्रकाश रे ॥ जो ॥१९॥