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जैनेन्द्र का जीवन-दर्शन
अभिव्यक्ति प्राप्त करता है । जैनेन्द्र के विचार' में संग्रहीत निबन्ध जैनेन्द्र की बौद्धिकता का अत्यन्त व्यावहारिक ओर सरस रूप व्यक्त करते है । जैनेन्द्र के चिन्तन और अभिव्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे कठिन-मे-कठिन विषय को भी जीवन की घटनाओं से आत्मसात् करके इतने सरल रूप मे अभिव्यक्त करते है कि सत्य का स्वरूप प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत हो जाता है । पाठक को उनकी महजता पर आश्चर्यचकित हो जाना पडता हे । दूर-पास, पिरावाद, मानव का सत्य', उपयोगितावाद, जरूरी भेदाभेद आदि निबन्धो में उनका वैचारिक पक्ष जीव तत्त्व-दर्शन का विश्लेषण करता है। किन्तु तत्त्व-दर्शन जैसा निराकार विषय यदि कोरे शब्दजाल और युक्तियो के आधार पर प्रस्तुत किया जाय तो उसे ग्रहण कर बुद्धि को कसरत करनी पडेगी और विचार का सार-तत्व हृदय तक उतरते-उतरते शुष्क होकर समाप्त हो जायगा। अतएव जैनेन्द्र ने बुद्धि को विचार-तत्व के स्तर तक ही स्वीकार किया है । विचार से अधिक जहा बुद्वि द्वारा तत्वो का प्रचार होने लगता है और हृदयगत आस्था समाप्त हो जाती है, वहा वे बुद्धि को उसे रवीकार नही करते । उन्होने विचार के द्वारा भाव को स्थिरता प्रदान की है, क्योकि कोरी भावना मे टिकने की सामर्य नही होती।
बुद्धि की प्रगल्भता के साथ-साथ हृदय की प्रासादिकता
जैनेन्द्र के साहित्य में हृदय की प्रासादिकता इतने व्यापक रूप में व्यक्त हुई है कि दशन की गम्भीरता भी उसमे सरस हो उठती है। उनकी कहानियो मे यह भाव रमणीयता स्पष्टत दृष्टिगत होती है। पात्री के विचार मानो हृदय तल की गहराई से आर्द्र होकर अभिव्यक्ति प्राप्त करते है। उनकी कुछ कहानियो मे इतनी सरसता है कि उन्हे पढते-पढ़ते एक अप्रतिम आनन्द की अनुभूति होती है । 'लाल सरोवर', 'रानी महामाया', 'राजीव और भाभी', 'दो चिडिया', 'नादिरा' आदि कहानियो मे जैनेन्द्र ने व्यक्ति के अन्तरतम में प्रवेश कर अन्तस् की कोमल भावनामो को बडी सहजता से अभिव्यक्त किया है । कही-कही तो भावावेश इतना बढ़ जाता है कि पाठक का हृदय कचोट कर रह जाता है। जैनेन्द्र की ‘फोटोग्राफी' कहानी इस दृष्टि से बहुत ही प्रभावशाली है । भाव की सात्विकता मन को झकझोर देती है। वात्सल्य और स्नेहयुक्त ऐसी पवित्र अभिव्यक्ति अन्यत्र दुर्लभ है। छोटी-सी घटना हृद्तत्री के तार झकझोर देती है। ___जैनेन्द्र के उपन्यास और कहानियो मे स्त्री-पुरुष प्राकर्षण तथा परस्पर समर्पण भाव में स्त्री पात्र बहुत अधिक विनत हो जाते है। 'रानी महामाया'