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जनन्द्र का जीवन-दर्शन
भेदाभेद', 'व्यवसाय का सत्य' आदि निबन्धो द्वारा अपरोक्ष रूप से समाज के धनी वर्ग पर प्रहार किया है।
लोकोत्तर तथा मानवेत्तर विषय
जैनेन्द्र ने लोकोत्तर तथा मानवेत्तर विषयो को अपनी रचना का विषय बना कर साहित्य मे एक नवीन कडी जोडो है। 'नीलम प्रदेश की राज कन्या' इस दृष्टि से हिन्दी साहित्य मे अपना विशिष्ट स्थान रखती है । लेखक ने कल्पना की तूलिका से मानवीय बिम्ब प्रस्तुत करने की सफल चेष्टा की है। उपरोक्त कहानी का सामाजिक यथार्थ की दृष्टि से कोई महत्व नही है, किन्तु आध्यात्मिक दृष्टि से नीलम देश की राजकुमारी के विचार जैनेन्द्र की सापेक्षिक (स्यादवाद) की दृष्टि के पोषक है। ___ मानवेत्तर कहानियो मे 'एक गौ' तथा 'दो चिडिया' और 'चिडिया की बच्ची' अत्यन्त मार्मिक और सत्यानुभूति का उद्घाटन करने वाली कहानिया है। जैनेन्द्र की दृष्टि में प्रेम मानव जीवन की ही अनिवार्यता नही है, वरन् बुद्धि शून्य पशुपक्षी भी हृदय और प्रेम की भापा पहचानते है । जउ प्रकृति को भी उन्होने प्रेम के आकर्षण से पूर्ण माना है। जेनेन्द्र कोरे विचारक ही नही है, सहृदय व्यक्ति भी है । अपार सहृदयता के कारण ही उन्हें चहवहाती चिडिया के यौवन काल मे भी मानवीय प्रेम के दर्शन होते हे । छोटी चिडिया मे भी प्रेम का अकुर होता है, जो वय प्राप्त करते ही प्रस्फुटित हो उठता है। चिडिया की आत्मविभोरता और चहचहाहट के द्वारा लेखक ने उसके हृदय में उत्पन्न होने वाले प्रेम को व्यक्त किया है । 'अम्मा-अम्मा' कहकर वह अपनी अन्तस् के प्रेम का ही उद्घाटन करती है। उसके पास भावाभिव्यक्ति के लिए शब्द नही हे, किन्तु उसकी चचलता ही अभिव्यक्ति का प्रसाधन है। वह प्रकृति से केवल प्यार ही नही करती, वरन् प्यार मे मिलने वाले कष्ट को भी भूल जाती है। उसे 'शाम' के रूप मे प्रिय के दर्शन होते है । उस मिलन मे उसे अपनी भीगे तन की भी सुधि नही रहती।' सचमुच लेखक ने इस कहानी मे चिडिया मे एक वय प्राप्त किशोरी के प्रेमपूर्ण उल्लसित, हृदय के भावोद्गारो की बडी सुन्दर अभिव्यक्ति की है। उसकी भावाभिव्यक्ति मे अपार स्निग्धता तथा हार्दिकता के दर्शन होते है। ___'एक गौ' मे लेखक ने एक गाय के अपने मालिक के प्रति अटूट प्रेम और निस्वार्थ भाव का हृदयस्पर्शी चित्रण किया है जिसे पढकर पशु में भी निहित
१ जैनेन्द्रकुमार 'जैनेन्द्र की कहानिया', भाग ३ ।