________________
122 * जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
349. (i) व्याख्याप्रज्ञप्ति,1/976,
(ii) सूत्रकृतांग,2
(iii) उत्तराध्ययन,23 350. संस्कृति के अंचल में, पृ. 33-34 देवेन्द्र मुनि शास्त्री 351. पार्श्वनाथ चरित्र, सकलकीर्ति,23-18,19 352. समवायांग सूत्र, समवाय 38 353. उत्तरपुराण,73/74-92 354. त्रिशष्टि शलाका पुरिस चरित्र, श्लोक 322-323 355. उत्तरपुराण,73/95-103 356. वही,73/124-130 357. वही,73/134-144 358. भगवान पार्श्व : एक समीक्षात्मक अध्ययन- देवेन्द्रमुनि शास्त्र, प.8 359. उत्तरपुराण,73/149-154. 360. वही,73/155-159 361. वही,74/251-278 362. आचारांग सूत्र, श्रु. 2, अ. 15 363. त्रिशष्टि शलाका पुरिस चरित्र,श्लोक 324-325 364. उत्तरपुराण,74-290-295 365. वही,74/302-304 366. जैन धर्म का मौलिक इतिहास, भा. 1- आ. श्री हस्तीमलजी म.. पृ. 565, प्र. जैन इतिहास
समिति, लाल भवन, चौड़ा रास्ता। 367. उत्तरपुराण,74/348-352 368. वही,74/372-384 369. वही.76/509-512 370. यजुर्वेद, 15/18, 10/21,44,45 371. इतिहास समुच्चय - भारतेंदु बावू हरिश्चंद्र, पृ. 18 372. वही, पृ.6 373. सर्व तंत्रस्वतंत्र सत्संप्रदायाचार्य स्वामी राममिश्र शास्त्री-उपदेश 374. श्री वरदकान्त मुखोपाध्य के बंगला लेख के हिन्दी अनुवाद से उद्धृत-नाथूराम प्रेमी द्वारा 375. स्टडीज इन इण्डियन पेंटिंग्स - मेहता, पृ.2
हेमचन्द्र व अन्य परम्पराओं के 3 नुसार भी जैन धर्म आज के भारत की सीमाओं में सीमित
नहीं था। हेमचन्द्र - परिशिष्ट पर्व - पृ. 69,282 376. आउटलाइन्स ऑफ जैनिज्म - जैनी पृ.3 377. विल्सन ग्रन्थावली भाग-1 - श्री विल्सन, पृ. 334 378. वही, पृ. 347 379. इण्डिया एण्ड इट्स प्रॉब्लम्स - लिले, पृ. 144