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जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता 125
मथुरा का कंकाली टीलाः 2200 वर्षों की तीर्थंकरों की प्राचीन मूत्तियाँ
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मथुरा के कंकाली टीला के खुदाई का काम करते समय पत्थर का ध्वंश विशेष मिला है । जो चित्र ऊपर दिया गया है इसमें ऊपर के भाग में समवसरण के दोनों बाजु तीर्थंकरों की मूर्त्तियां हैं। नीचे जैन श्रमण कृष्णार्पि की मूर्त्ति है जिसके एक हाथ में रजोहरण और दूसरे हाथ में मुखवत्रिक है। विद्वानों का मत है कि यह वि.सं. के पूर्व दो शताब्दियों जितना प्राचीन है। इस प्राचीनता से सिद्ध है कि जैन साधु मुँहपत्ती कदीम से हाथ में ही रखते थे।