Book Title: Jain Sanskruti Ka Itihas Evam Darshan
Author(s): Minakshi Daga
Publisher: Rajasthani Granthagar
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नीति मीमांसा* 479
134. तंजहा-सहसभक्खाणे, रहसभक्खाणे, सदारमंतभेए, मोसोवएसे, कूडलेहकरणे। वही,
1/46 135. थूलगं अदिण्णादाणं पच्चक्खाइ, जावज्जीवाए दुविहं, तिविहेणं, न करेमि, न कारवेमि,
मणसा वयसा कायसा । वही 1/15 136. तंजहा-तेनाहडे, तक्करप्पओगे, विरुद्धरज्जाइक्कमे, कूडतुलकूडमाणे,
तप्पडिरुवगववहारे । वही, 1/47 137. j)सदारसंतोसिए परिमाणं करेइ, नन्नत्थ एक्काए सिवनंदाए भारियाए, अवसेसं सव्वं
मेहुणविहिं पच्चक्खामि ।। उपासकदशांग , 1/16 ii) न तु परदारान् गच्छति, न परान गमयति च पापभीतेर्यत्। सा परदार निवृत्तिः स्वदार
सन्तोष नामापि।। रत्नकरण्ड श्रावकाचार, समन्तभद्र, भोक 59 138. तंजहा-इत्तरियापरिग्गहियागमणे, अपरिग्गहियागमणे, अणंग क्रीडा, परविवाहकरणे,
कामभोगात्तिव्वाभिलासे । वही, 1/48 139. उपासक दशांग, 1/17 140. तंजहा खेतवत्थुपमाणाइक्कमे, हिरण्ण-सुवण्ण पमाणाइक्कमे, दुपय-चउपय
पमाणाइक्कमे, धण-धन्न पमाणाइक्कमे, कुवियपमाणाइक्कमे। वही, 1/49 141. i)तत्त्वार्थसूत्र, 7/16, ii) “दिग्व्रतमनर्थदण्डव्रतं च भोगोपभोग परिमाणम्। अनुवृंहणाद्रुणानामा ख्याति
गुणव्रतान्यायाः ॥' रत्नकरण्डश्रावकाचार, समन्तभद्र स्वामी, 3/21 142. तंजहा-उढदिसिपमाणाइक्कमे, अहोदिसिपमाणाइकमे, तिरियदिसि पमाणाइक्कमे,
खेत्तवुड्ढी, सइअंतरद्धा ।। उपासकदशांग, अ. 1 सू. 50 143. उपासक दशांग सूत्र, 1/22-42 144. वही, 1/51 145. चउव्विहं अणट्ठादंडं पच्चक्खाइ। तंजहा-अवज्झाणायरियं, पमायायरियं, हिंसप्पयाणं,
पावकम्मोवएसे ।। वही, 1/43 146.i) तंजहा-कंदप्पे, कुक्कुइए, मोहरिए, संजुत्ताहिगरणे, उवभोग-परिभागाइरित्ते।
उपासकदशांकसूत्र, 1/52 ii) असमीक्ष्याधिकरणं भोगनार्थक्यमेव च। तथा कन्दर्पकौत्कुच्य मौखर्यापि च पञ्चते ॥
तत्त्वार्थसार, अमृतचन्द्रसूरि, 4/93 147. "देशावकाशिकं वा सामायिकं प्रोषधोपवासो वा। वैयावृत्यं शिक्षाव्रतानि चत्वारि
शिष्टानि ॥' रत्नकरण्ड श्रावकाचार, समन्तभद्र, 4/1 148. जीविदमरणे लाभालाभे संजोय विप्पओगेय।
बंधुरिसुहदुक्खादिसु समदा सामाइयं णाम ।। मूलाचार, अ. 1, मूलगुणाधिकार, गा. 23,
ले. वट्केराचार्य 149. रागाद्यबाधबोधः स्यात् समायोस्मिन्निरुच्यते।
भवं सामायिकं साम्यं नामादौ सत्यऽसत्यपि ॥ अनगार धर्मामृत, पं. आशाधर 8/19 150. तंजहा-मणदुप्पणिहाणे, वयदुप्पणिहाणे, कायदुप्पणिहाणे, सामाइयस्स सइअकरणया,

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