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148 * जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
साथ व्यक्ति के विश्वास, दृष्टिकोण, मूल्य, आदर्श सभी आ जाते हैं। मानव संसाधन तकनीकी ज्ञान व उसकी उपलब्धियाँ, धर्म, कानून कला-साहित्य सभी संस्कृति के घटक हैं। रूथ बेनेडिक्ट ने संस्कृति को विचार व क्रिया का बहुत कुछ सुस्थिर प्रतिमान बताया है।
___ मानव शास्त्री डोरेथी संस्कृति को “Idias or Rules behind behaviors'' कहते हैं, क्योंकि संस्कृति मानव के व्यवहार को नियमित करती है, निर्देशित करती है, अनुशासित करती है।
संस्कृति की विशेषताएं : 1. संस्कृति शारीरिक क्षमताओं व योग्यताओं की तरह जन्म से प्राप्त नहीं
होती वरन् उसे सीखना पड़ता है। जो सांस्कृतिक आदर्शों, दृष्टिकोणों, जीवन शैली आदि के रूप में व्यक्ति का जीवन नियंत्रित, निर्देशित करती
है. वही संस्कति है। 2. विभिन्न समाजों की संस्कृति उनकी भौगोलिक परिस्थितियों, रीति
रिवाजों, खान-पान, पर्व-त्यौहारों में भिन्नता होती है। अतः उनकी संस्कृति भी भिन्न-भिन्न होती है। जैसे - नदी किनारे के समाज, मरुस्थल के
समाज व पर्वतीय समाज। 3. समूह की संस्कृति व्यक्ति के लिए आदर्श होती है। अपनी संस्कृति के
प्रति व्यक्ति में सर्वोच्चता की भावना होती है, उसके प्रति अहं होता है। 4. संस्कृति में संगठन होता है, अन्तर्विरोध नहीं। 5. संस्कृति की व्यक्तित्व पर गहरी छाप होती है। 6. मानव संस्कृति का वाहक ही नहीं वरन् निर्माता भी है। 7. संस्कृति व्यक्ति को एक जीवन विधि प्रदान करती है। 8. धर्म और संस्कृति परस्पर गुंथे हुए हैं, अविच्छिन्न अंग है। धर्म संस्कृति ___ का केन्द्र है, उसकी धुरी है।
जब हम जैन संस्कृति का विवेचन करेंगे, तो हमारा तात्पर्य जैन धर्म की आचार संहिता, जीवन शैली, जीवों व प्रकृति के प्रति जैन धर्म के दृष्टिकोण से होगा। जैन संस्कृति जैन धर्म, दर्शन के मेरुदण्ड पर ही तो खड़ी है, जिसका आधार जिन उपदेश
है।
चूंकि संस्कृति का केन्द्र धर्म-दर्शन होता है, अतः जिन धर्मों में प्राणी मात्र के प्रति आत्मवत् भाव है, वे संस्कृतियाँ तो सहज ही अनादिकाल तक रहेगी। जैन संस्कृति :
जैन संस्कृति से तात्पर्य जैन दृष्टिकोण एवं जैन जीवन-विधि दोनों से है। जैनागमों या जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन जीवन का लक्ष्य या साध्य क्या है? उनकी