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2
1
1 प्रतिज्ञा
1
2 उदाहरण
3
4
5
6
7
8
9
10
ज्ञान मीमांसा (प्रमाण मीमांसा) 307
चार्ट 2
भद्रबाहु प्रणीत अनुमान के विभिन्न अवयव
परम्पराएँ
3
↓
प्रतिज्ञा
हेतु
उदाहरण
5
1
प्रतिज्ञा
1
हेतु
दृष्टांत
J
उपसंहार
निगमन
10
1
प्रतिज्ञा
↓
प्रतिज्ञाविशुद्धि
1
हेतु
1
हेतुविशुद्धि
1
दृष्टान्त
↓
दृष्टान्तविशुद्धि
↓
उपसंहार
↓
निगमन
↓
निगमन विशुद्धि
10
1
प्रतिज्ञा
1
प्रतिज्ञाविभक्ति
1
हेतु
99143
“निश्चितान्यथानुपपत्येकलक्षणो हेतुः ॥ 49
↓
हेतुविभक्ति
1
विपक्ष
1
उपसंहारविशुद्धि आशंका
1
प्रतिषेध
J
दृष्टांत
1
तत्प्रतिशेध
↓
निगमन
जैन तार्किकों का मन्तव्य है, कि शिष्यों को समझाने के लिए शास्त्र पद्धति में योग्यता भेद से दो, तीन, चार, और पाँच या इससे भी अधिक अवयव मान सकते हैं, किन्तु वाद कथा में जहाँ विद्वानों का अधिकार है, प्रतिज्ञा और हेतु ये दो ही अवयव पर्याप्त है। प्रतिज्ञा का प्रयोग किए बिना साध्य धर्म के आधार में सन्देह बना रह सकता है। बिना प्रतिज्ञा के किसी की सिद्धि के लिए हेतु दिया जाता है। पक्षधर्मत्व प्रदर्शन द्वारा प्रतिज्ञा को मान करके भी बौद्ध का उससे इन्कार करना अति बुद्धिमत्ता (मतिमंदता) है। पक्ष वचन रूप प्रतिज्ञा और साधन वचन रूप हेतु इन दो अवयवों से अर्थ का बोध हो जाता है, तो दृष्टान्त, उपनय, निगमन वाद कथा में व्यर्थ है।
हेतु का स्वरूप :