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प्रोमोथियस हैं। इस देवताके ग्रीक तथा यूनानी आदि उपासक हैं। रोमनमें, बल्कन, या उलका के नामसे अमिकी पूजा होती है । लाटिन भाषा भाषी श्रमिको 'इति' तथा स्लाव लोग, ओमनी. कहते हैं। ईरानों व पाशियन लोग र नामसे पूजा करते हैं। (सा पं० रामगोविन्द त्रिवेने ऋग्वेद के अनुवाद में लिखा है।) वैदिक साहित्य में श्रमि शब्द अनेक अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। उनमें कुछ निम्न हैं ।
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(2) अभि देवों का दूत हैं । अर्थात वह देवोंको यज्ञमें बुलाकर लाता है।
देवासी दूतमकत ॥ ऋ० ८ । २३ । १८
अर्थात् श्रमिको देवाने दूत बनाया |
(२) है। तथा च
देवोंका पुरोहित हैं। अर्थात् वह देवोंका हितकारक
(३) यक्षका देवता हैं।
(४) ऋतका रक्षक हैं। (ऋगोप) १ । १८: (५) यज्ञका नेता हैं।
(६) यह होता, कवि, ऋतु आदि है। इसके अलावा, आत्मा, ज्ञान, प्राण, इन्द्रिय, मन-वाणी, आदि अनेक अर्थ में इसका व्यवहार हुआ है । परन्तु वर्तमान ईश्वरके अर्थ में कहीं भी अभि शब्दका प्रयोग नहीं हुच्छा है । यह अमि देव पूर्व दिशा के अधिपति हैं ।
प्रचीदिक, अग्निदेवता ॥ तै०. ३ । ११ । ५ । १ अनि पूर्व में वृषभ था ।