Book Title: Bhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
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जम्बु० महाविदह
१
१ जयदेव
२ कर्णभद्र
३ लक्ष्मीपति
४ अनन्तहर्ष
५ गंगाधर
विशालचन्द्र
७ प्रियंकर
८ अमरादित्य
कृष्णनाथ
गुणगुप्त
पद्मनाभ
19
१२
१३
३४ वरदत्त
१५ चन्द्रकेतु
१६
6७
१८
१९ हरिहर
रामेन्द्र
शांति देव
जलधर
युगादित्य
महाकाय
अमर केतु
अरएववास
२०
२१
१२
२३ गजेन्द्र
१४
सागरचन्द्र
१५ लक्ष्मीचन्द्र
२६ महेश्वर
अनन्तकृत
२७ ऋषभदेव
२८ सौम्यकान्त
२९ नेमिप्रभु
३० अजितभद्र
३१ महीधर ३२ रजिश्वर
१
भगवान् अजितनाथ के समय महाविदह में उत्कृष्ट १६० तीर्थङ्कर
धा० पूर्व० विदह धा० पश्चिम वि०
पुष्करा० पूर्व विदह
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वीरचन्द्र
वटस सेन
नीलक्रांति
मुंजकेशी
रुकिमक
क्षेमंकर
२
मृगांकनाथ
मुनिमूर्ति
विमलनाथ
आगमिक
निष्पापनाथ
वसुंधराधिप
मल्लिनाथ
बनदेव
वलभृत
अमृत वाहन
पूर्णभद्र
रेवांकित
कल्पशाखा
नलनिदत्त
विद्यापति
सुपार
भानुनाथ
प्रभंजन
विशिष्टनाथ
जलप्रभ
मुनिचन्द्र
ऋषिपाल
कुड़गदत्त
भूतानन्द
महावीर
तार्थेश्वर
३
धर्मदत
भूमिपति
मेरुदत
सुमित्र
श्रीषेणनाव
प्रमानन्द
पद्माकर
महाघोष
चन्द्रप्रभ
भूमिशल
सुषेण
अच्युत
तीर्थपति
किताँग
अमरचन्द्र
समाधिनाथ
मुनिचन्द्र
महेन्द्रनाथ
शशांक
जगदीश्वर
देवेन्द्रनाथ
गुणनाथ
उद्योतनाथ
नारायण
कपिलनाथ
प्रभाकर
जिनदीक्षित
सकलनाथ
शीकारनाथ
बज्रध (
सहस्रार
अशोकाख्या
8
मघवाहन
जीवरक्षक
महापुरुष
पापहर
मृगांकनाथ
सुरसिंह
जगतपुज्य
सुमतिनाथ
महामहेन्द्र
अमरभूति
कुमारचन्द
वारिषेण
रमणनाथ
स्वयंभू
अचलनाथ
मकरकेतु
सिद्धार्थनाथ
सकलनाथ
विजयदेव
नरसिंह
शतानन्द
वृंदारक
चन्द्रातप
चित्रगुप्त (चन्द्रगुप्त )
दरथ
महायशा
35At
प्रद्यु
महातेज
मननाथ
पुष्पकेतु
कामदेव
समर :
पांच भरत, पांच एरवत एवं दश को मिलाने से १७० तीर्थकर हुए ।
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पु० पाश्चि० विषह
प्रसन्नचन्द्र
महासेन
वृजनाथ
सुवर्ण बाहू
कुरुचन्द
बज्रबीर्य
विमलचन्द्र
यशोधर
महाबल
बज्रसेन
विमलबोध
भीमनाथ
मेरुप्रभ
भद्रगुप्त
सुदसिंह
सुब्रत
हरिचन्द्र
प्रतिमाधर
अतिश्रेय
कनक केतु
अजितवीर्य
फाल्गु मित्र
ब्रह्मभूत
हितकर
वारुणदत्त
यशकीर्ति
नागेन्द्र
महीकीर्ति
५
कृतब्रह्मा
महेन्द्र
वर्धमान
सुरेन्द्रदत्त
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