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ठीक है। लेकिन तेरी आंख खुली है? तेरी आंख साफ -सुथरी है? इसकी तुझे चिंता नहीं है। दर्शन की चिंता है, दृष्टि की चिंता ही नहीं है ।
अंधा है और रोशनी देखना चाहता है। बहरा है और संगीत सुनना चाहता है। और कहता है जब तक सुनूंगा नहीं, मानूंगा नहीं। बात तो ठीक कह रहा है। सुनोगे नहीं तो मानने का सार भी क्या है? लेकिन अगर सुनाई नहीं पड़ रहा है तो पहली बात बुद्धिमान आदमी यही सोचेगा कि कहीं मेरे सुनने के यंत्र में कोई खराबी तो नहीं है? सदियों -सदियों में सत्युरुषों ने कहा है, है। एक देश में नहीं, अनंत-अनंत कालों में, अनंत- अनंत देशों में, अनंत- अनंत परिस्थितियों में, सत्युरुषों ने निरपवाद रूप से कहा है, है। तो कहीं मेरी आंख के यंत्र में कुछ खराबी तो नहीं है? यह बुद्धिमान आदमी पहली बात उठायेगा। बुद्ध कहता है, हो तो मैं देखू। देखू तो मैं मानूं। और इसकी फिक्र ही नहीं करता कि मेरे पास देखने की क्षमता है, पात्रता है?
इति निश्चयी का अर्थ होता है, जिसने देख लिया और देखकर जो निश्चय को उपलब्ध हो गया। निश्चय एक ही तरह से आता है-दर्शन से, अनुभव से, प्रतीति से।
अलक्ष्यस्फुरण: शुद्धः स्वभावेनैव शाम्यति। 'और अलक्ष्य स्फुरणवाला शुद्ध पुरुष स्वभाव से शांत होता है।'
यह शब्द बड़ा अदभुत है. अलक्ष्य स्फुरणवाला। इसे समझ लिया तो अष्टावक्र का सब सारभूत समझ लिया।
हम तो जीते हैं अपनी चेष्टा से। हम तो जीते हैं अपनी योजना से। हम तो जीते हैं प्रयास से। जीने की यह जो हमारी चेष्टा है, यह जो प्रयास है, यही हमें तनाव से भर देता है, संताप और चिंता से भर देता है। इतना विराट अस्तित्व चल रहा है, तुम देखते हो फिर भी अंधे हो। इतना विराट अस्तित्व चल रहा है, इतनी व्यवस्था से चल रहा है, इतना संगीतपूर्ण, इतना लयबद्ध चल रहा है, लेकिन तुम सोचते हो तुम्हें अपना जीवन खुद चलाना पड़ेगा।
कहा है मलूक ने: अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम दास मक्का कह गये सबके दाता राम
बड़ा अदभुत वचन है। यदयपि गलत लोगों के हाथ में पड़ गया! लोगों ने इसका अर्थ निकाल लिया कि पड़े रहो आलसी होकर।
दास मक्का कह गये सबके दाता राम तो अब करना क्या है? कुछ मत करो। यह मतलब नहीं है। अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम
लेकिन देखा पंछी कितने काम में लगे हैं! ला रहे घास-पात, बना रहे घोंसले, बीन रहे गेहूं? चावल, दाल, इकट्ठा कर रहे भोजन, बच्चों को खिला रहे, खुद खा रहे, काम तो बहुत चल रहा है। अजगर भी सरक रहा है। अजगर भी काम में लगा है। लेकिन मलूक का कुछ अर्थ और है।