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अवस्था उदयास्त वाली होती हैं। मनुष्य, स्त्री, पुरुष, गधा, गाय, भैंस, ये सभी आत्मा के फेज़िज़ हैं, जैसे कि बीज, तीज... चंद्र के फेज़ हैं! मनुष्यपने में जो गुण अधिक अनुपात में डेवेलप होता है, उस अनुसार गति मिलती है।
इसमें आत्मा तो वही का वही है I
हिन्दुओं में पंच महाभूत और छठवाँ तत्त्व आत्मा, ऐसा वर्णन है और महावीर भगवान ने छः अलग तत्त्व बताए हैं ।
(१) हिन्दू धर्म :- पंच महाभूत में पृथ्वी, वायु, आकाश, जल, अग्नि (इसमें आत्मा नहीं है ।)
(२) महावीर भगवान :- छ: सनातन तत्त्व जिनमें चेतन, जड़, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश व काल हैं।
पंच महाभूतों में पृथ्वी, वायु, अग्नि व जल, ये चार मूल तत्त्व नहीं हैं, वे तो एक ही सनातन, मूल जड़ तत्त्व के अणुओं की अवस्थाएँ ही हैं। जबकि आकाश अलग है, वह अलग ही सनातन माना जाता है।
यदि पंच महाभूतों से ही शरीर बना है तो फिर इसमें गति किस तरह से होती है? वह कौन से तत्त्वों से है ? अतः समझ में कोई फर्क है। देह में क्या-क्या है ? पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, काल और नौवाँ खुद चेतन।
यह शरीर, मन, अहंकार, इन सब में, आकाश और बाकी के चार महाभूतों में से (जो जड़ तत्त्व की अवस्थाएँ हैं), और काल, गति सहायक और स्थिति सहायक इन सब से बना हुआ है । अहंकार का विनाश हो जाता है। अहंकार में चेतन एकाकार नहीं है लेकिन उस पर उसका प्रभाव
है।
मनुष्य में पंच महाभूतों का इम्बैलेन्स हो गया है। कर्म के उदय के अनुसार कम या ज्यादा भोजन ले पाता है इसलिए इम्बैलेन्स हो जाता है!
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