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खंड़ -२ द्रव्य-गुण-पर्याय
[१] परिभाषा, द्रव्य-गुण-पर्याय की
द्रव्य का मतलब? प्रश्नकर्ता : तो दादा, द्रव्य का मतलब क्या है ? स्वाभाविक रूप से द्रव्य का आध्यात्मिक अर्थ क्या होता है ?
दादाश्री : द्रव्य का अर्थ है वस्तु । इस जगत् में छः द्रव्य हैं। उनमें से एक द्रव्य है आत्मा। पूरे ज्ञान में जो द्रव्य आते हैं न, वे ये छः द्रव्य माने जाते हैं, जो कि इटर्नल हैं। जो गुण व पर्याय सहित होता है उसे द्रव्य कहा जाता है।
प्रश्नकर्ता : साधारण भाषा में तो द्रव्य का गुणधर्म होता है न?
दादाश्री : वस्तु अर्थात् जिसे आप द्रव्य कहते हो न, वे अनित्य वस्तुएँ हैं जबकि ये द्रव्य नित्य हैं। नित्य में रूपी कौन सा है? एक ही तत्त्व है, जो अणु-परमाणु आते हैं न, वे सब हमें उस एक ही तत्त्व में से दिखाई देते हैं। अन्य तत्त्व दिखाई नहीं देते, छुपे रूप में अंदर हैं ज़रूर। इसलिए हमने इसे द्रव्य कहा है।
द्रव्य में क्या-क्या आता है, जानते हो? वस्तु का स्वभाव और वस्तु के गुण, द्रव्य में ये दोनों आते हैं और बाकी सब पर्याय में आता है। तो आत्मा के भी पर्याय हैं।