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आप्तवाणी-१४ (भाग-१)
दादाश्री : पचास प्रतिशत होगा तभी यह खडा रह सकेगा न! वर्ना खड़ा कैसे रह सकेगा? उसमें स्थूल ज़्यादा ही है।
इम्बैलेन्स पाँचों का मनुष्यों में मनुष्यों में पाँच तत्त्वों का अनुपात बदल गया है। वह अबव नॉर्मल और बिलो नॉर्मल हो गया है।
प्रश्नकर्ता : क्या रोग होने का कारण इम्बैलेन्स (असंतुलन) है? दादाश्री : वही कारण है।
प्रश्नकर्ता : और इम्बैलेन्स होने का कारण भोजन है ? हम भोजन ही ऐसा लेते हैं इसलिए इम्बैलेन्स हो जाता है ?
दादाश्री : कर्म के उदय के कारण कम-ज़्यादा भोजन लेते हैं, इससे उसे इम्बैलेन्स हो ही जाता है। फिर रोग होते हैं।
प्रश्नकर्ता : पंच महाभूत मुरदे को कहा जाता है या जीवित मनुष्य को? आत्मा सहित देह को पंच महाभूत कहा जाता है या पुद्गल (जो पूरण और गलन होता है) को पंच महाभूत कहा जाता है ?
दादाश्री : दोनों को कहा जाता है। पुद्गल भी पंच महाभूत है, सिर्फ पुद्गल ही। फिर यदि वह मुरदा हो तब भी पंच महाभूत ।
प्रश्नकर्ता : सिर्फ देह को ही पंच महाभूत कहते हैं या किसी को भी।
दादाश्री : इस देह को ही।
प्रश्नकर्ता : और बाकी इन सब को नहीं? यह (टेपरिकॉर्डर) भी पुद्गल में ही आता है न, इसे नहीं?
दादाश्री : मेरा कहना यह है कि टेपरिकॉर्डर में सब नहीं है, इसमें कुछ पंच महाभूत नहीं हैं और कुछ महाभूत हैं। लेकिन शरीर तो नियम से पंच महाभूतों से ही बना है। टेप में कुछ ही महाभूत हैं।