Book Title: Aptavani 14 Part 1 Hindi
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 336
________________ (२.४) अवस्थाओं को देखने वाला ‘खुद' २६५ यों लोगों की भाषा में बिलखते हैं और मरते हैं। भगवान की भाषा में तो कोई मरता ही नहीं है। भगवान ऐसा तो क्या देखते होंगे कि कोई मरता नहीं है? इन सभी को मरते हुए दिखाई देते हैं और ये लोग अवस्थाओं को देखते हैं। अवस्था हमेशा विनाशी ही होती है और भगवान अवस्था को नहीं देखते, वस्तु को देखते हैं। कल क्या होगा, वह कहा नहीं जा सकता, ऐसे इस संसार में एक मिनट भी कैसे बिगाड़ा जाए? हर क्षण यह शरीर बदलता रहता है, खुद का स्वरूप नहीं बदलता है। वे सब लोग जो फेज़ को ही 'माइ सेल्फ' कहते हैं, उनके लिए ऐसा ही कहना चाहिए कि आत्मा कर्ता है और कर्म का भोक्ता है। जो फेज़ को जानते हैं कि फेज़ कच्चा है, पक्का है, लुच्चा है, बुरी आदतों वाला है, अच्छी आदतों वाला है, अज्ञानी है, ज्ञानी है फिर भी वह फेज़ ही है। आत्मा ज्ञानी नहीं है, ज्ञानी भी एक फेज़ है। साधु, साधु के फेज़ में और तपस्वी, तपस्वी के फेज़ में, मुनि, मुनि के फेज़ में हैं और महात्मा, महात्मा के फेज़ में रहे हुए हैं। अज्ञानता के महासागर में यह ज्ञान है। फेज़ की कलाएँ क्या-क्या हैं, उन्हें देखते रहो। प्रश्नकर्ता : जो गुण और अवगुण हैं, वे इफेक्ट हैं। जो कॉज़ेज़ थे, उनका इफेक्ट है। तब यह बात आती है कि आत्मा के जो अन्य गुण हैं, उनके कॉज़ेज़ हैं या नहीं? दादाश्री : नहीं, उनके कॉज़ेज़ नहीं हैं। जो उत्पन्न होता है और जिसका विनाश होता है, वहाँ पर कॉज़ेज़ और इफेक्ट हैं। अवस्था में कॉज़ेज़ और इफेक्ट होते हैं जबकि तत्त्व में नहीं होते। स्थिर वस्तु को देखते ही स्थिर प्रश्नकर्ता : सभी वस्तुओं का परिवर्तन होता है, सभी वस्तुओं का मतलब क्या है? यानी कि तीनों ही काल में एक ही वस्तु रहे तो उसे सही माना जाएगा न?

Loading...

Page Navigation
1 ... 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352