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(१.७) छः तत्त्वों के समसरण से विभाव
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नहीं किया है फिर भी मेरी उपस्थिति से उसके मन के प्रवर्तन में ऐसा सब परिवर्तन हो जाता है।
प्रश्नकर्ता : भाव बदल जाते हैं।
दादाश्री : इसमें क्या मैंने कुछ किया है ? कुछ न कहा हो फिर भी काम हो जाता है। बस, यह विज्ञान तो भगवान की उपस्थिति से हो गया है न! ज्ञान से यह जगत् खड़ा हो गया है और चलता रहता है। और वह मैं खुद देखकर बोल रहा हूँ। इसमें बिल्कुल भी गप्प नहीं है।
सिर्फ तीर्थंकर ही जानते थे यह कला। भगवान ने इस जगत् को बनाने में कुछ भी नहीं किया है। वे तो सिर्फ निमित्त हैं। भगवान की उपस्थिति को लेकर यह पूरा ‘साइन्स' चल रहा है! ।
'साइन्टिफिक' सिद्धांत क्या है ? भगवान की उपस्थिति से 'रोंग बिलीफ' उत्पन्न होती है। भगवान की उपस्थिति से संसार बंद हो जाता है। भगवान की उपस्थिति से परमात्मा पद मिल जाता है।