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कषाय व्यतिरेक हैं, नहीं हैं 'तेरे' १३५ 'मैं शुद्धात्मा', क्या वही अहंकार... १५३ अनादि के विभाव, ज्ञान होते ही... १३६ भला अंधे अहंकार को चश्मे? १५४ फर्क, ज्ञानी और अज्ञानी में... १३६ अहंकार किसे आया?
१५५ हम खुद कौन है?
१५७ [११] जब विशेष परिणाम का अहंकार की आदि और वृद्धि १५९
अंत आता है तब... 'हूँ' की वर्तना बदलती है ऐसे... १६५ अविनाशी, वस्तु तथा वस्तु के... १३८ 'मैं' का स्थान, शरीर में १६६
तब अहंकार गद्दी सौंप देता है... १७० जो विपरिणाम को जाने, वही स्व... १४०
दृष्टि क्या है? दृष्टि किसकी है? १७५ अहम् और विभाव
१४३
वह अहंकार नहीं है परंतु 'मैं' है १७६ केवलज्ञान के बाद में नहीं रहता... १४६ स्वक्षेत्र है दरवाज़ा सिद्ध क्षेत्र का १४९
निश्चय काम का, व्यवहार निकाली १७७
'मैं' रहा डिस्चार्ज परिणाम के रूप.१८१ [१२] 'मैं' के सामने जागृति 'मैं' को पहचानने वाला, बने... १८५ अहंकार उत्पन्न हुआ यों... १५२ मोक्ष ढूँढने वाला और मोक्ष स्वरूप १८७
[खंड-२]
द्रव्य-गुण-पर्याय [१] परिभाषा, द्रव्य-गुण-पर्याय [२] गुण व पर्याय के संधि स्थल,
दृश्य सहित द्रव्य का मतलब?
१८९ भेद, बुद्धि से देखने में और प्रज्ञा... २०९ पर्याय और अवस्था में फर्क १९१ फर्क, प्रज्ञा और पर्याय में २११ ज्ञान ही आत्मा है, द्रव्य-गुण के... १९४
१० पर्याय के बिना, नहीं है आत्म... २१२ संख्या, तत्त्वों के गुणों की १९५
दो-दो प्रकार हैं, दृष्टा और दृश्य... २१५
बुद्धि जड़ है या चेतन? २२१ घाती हैं गुणों में से और अघाती... १९६
शुद्ध ज्ञान दशा में देखा शुद्ध ही २२३ शुद्ध चित्त पर्याय के रूप में... १९९
शुद्धता प्राप्त करवाए पूर्णता २२३ बदलते हैं सिर्फ पर्याय, न कि ज्ञान...२००
सिद्धात्मा के भी पर्याय हैं २२८ तत्त्व से शून्य, पर्याय से पूर्ण २०२ अवस्था है आत्मा की और नकल...२२९ फर्क, रियल और रिलेटिव... २०३ भ्रांत भाव और पौद्गलिक भाव २३२ अलग हैं दोनों के पर्याय, संगदोष...२०६ ज़रूरत, पर्याय की या पाँच आज्ञा...२३३
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