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सुख का मूल : सन्तोष
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मान लो, अपनी सब इच्छाओं की पूर्ति के लिए चिन्तामणि-मन्त्र की साधना करने से उसे चिन्तामणि की सिद्धि प्राप्त हो गई, जो कि सामान्यतया असम्भव सी है। फिर भी चिन्तामणि से इच्छा सिद्धि होने के बावजूद भी उसका अभाव का अनुभव दूर न होगा। उसकी एक मनोनुकूल इच्छा थोड़ी देर में पुरानी होने पर वह नई इच्छा की पूर्ति के लिए लालायित हो उठेगा। इस प्रकार यदि मनुष्य रातदिन अपनी मनोवांछाओं की पूर्ति में लगा रहे तो भी वह सन्तुष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि सन्तोष वस्तुओं और परिस्थितियों में नहीं, अपितु मनुष्य की मनःस्थिति में है। एक पाश्चात्य तत्त्ववेत्ता ने कहा है
"He who is not contented with what he has, would not be contented with what he would like to have."
"वह व्यक्ति, जो कि अपने पास जो है, उसमें सन्तुष्ट नहीं है, तो वह उससे भी सन्तुष्ट नहीं होगा, जितना कि वह अपने पाने के लिए मन में चाह सँजोए हुए है।"
असन्तुष्ट व्यक्ति बड़ी-बड़ी महत्त्वाकांक्षाएँ मन में करता है। परन्तु वे सबकी सब महत्त्वाकांक्षाएं कभी पूरी नहीं हो पाती। केवल मनुष्य अपने दिमाग में उन कल्पनाओं का बोझ ढोए फिरता है। किन्तु उस अनावश्यक बोझ को मस्तिष्क से दूर फैककर वह हल्का और शान्त नहीं होता।
एक बार शेखसादी किसी व्यापारी के यहाँ ठहरे। व्यापारी बहुत ध वान था। उसके घर में बहुत माल भरा हुआ था। उसके यहाँ नौकर-चाकर भी अधिक संख्या में थे। वह व्यापारी रातभर अपनी रामकहानी सुनाता रहा । उसने बताया-"मेरा इतना माल तुर्किस्तान में है, इतना हिन्दुस्तान में, इतना अमुक नगर
और गाँव में है। मुझे उन देशों की यात्रा करनी है। फिर मुझे स्वास्थ्य सुधार के लिए अमुक देश जाना है। इसके पश्चात मुझे तीर्थयात्रा करने बहुत दूर जाना है। फिर एकान्तवासी बनकर खुदा की इबारत करनी है।"
सादी साहब उसकी बातें सुनते-सुनते ऊब गए, फिर भी उसकी रामकहानी पूर्ण न हुई । अतः शेख साहब बीच में ही बोल उठे-"आपको मालूम है, जिन्दगी अब और कितने दिन की है ?"
व्यापारी बोला--"मुझे इस विषय में बिलकुल मालूम नहीं है।" "तो फिर आपने इतने वर्षों के प्रोग्राम पहले क्यों बना रखे हैं ? यदि आप धन की इच्छापूर्ति होने के बाद ही धर्म कार्य करना चाहते हैं, तो मेरी बात गाँठ बाँध लीजिए कि आपकी यह धन की इच्छा कदापि पूर्ण नहीं होगी। जितना-जितना धन बढ़ता जाएगा आपकी इच्छाएँ उससे दो कदम आगे बढ़ती चली जाएगी, क्योंकि इनका कहीं अन्त नहीं होता। क्या आपको पता नहीं कि आज एक प्रसिद्ध व्यापारी की घोड़े से गिरकर मृत्यु हो गई है। जिस समय वह घोड़े से गिरा, उसने लम्बी सांस लेकर कहा'जीवन में बहुत धन कमाया, फिर भी अनेक इच्छाएं मन की मन में रह गई।'
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