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कृतघ्न नर को मित्र छोड़ते
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अतः पशुचिकित्सक ने अपनी पत्नी और पुत्रों से कहा- 'मैं इस पास वाले गाँव में जाता हूँ। तुम लोग गाड़ी में बैठो। मैं वहाँ से किसी को बुलाकर लाता हूँ।" डॉक्टर चले गए । रात्रि का अंधकार चारों ओर छा गया। सुनसान जगह थी । स्त्री और बच्चे तो घबराने लगे । इतने में ४-५ लुटेरे वहाँ आ पहुँचे । जीप देखकर सोचा- "अच्छा शिकार हाथ लगा है, आज तो। बिना मेहनत के माल मिल जाएगा।" लुटेरे जीप के पास आकर बन्दूक तानकर खड़े हो गए। बोले-"जो कुछ गहने और रुपये हों हमें सौंप दो, नहीं तो यह बन्दूक तैयार है।" अचानक बन्दूकधारी लुटेरों को देखकर असहाय स्त्री-बच्चे घबरा गए। महिला अपने पास जो भी गहने एवं पैसे थे, सब निकालकर देने की तैयारी में थी । ऐसे समय में प्राण बचाने की सबको चिन्ता होती है । इतने में महिला का पति गांव में किसी की मदद न मिलने से अकेला वापस लौटा । वे लुटेरे उन्हें मारने दौड़े, परन्तु लालटेन के प्रकाश में लुटेरों की नजर उस भाई पर पड़ी । अतः लुटेरों का सरदार तुरन्त रुका और बोला-ओ हो ! डॉक्टर साहब ! आप यहाँ कहाँ से ?" ये लोग डॉक्टर को अच्छी तरह पहिचानते थे। एक बार लुटेरों के सरदार की भैंस के प्रसव नहीं हो रहा था, तब उसने इन्हें बुलाया था। अनेक इलाज करके उसकी भैंस और पाड़े को बचाया था। इसके अतिरिक्त गांव के अनेक पशुओं का इलाज करके उन्हें बचाया था। इसलिए लुटेरों का सरदार बोला"डॉक्टर साहब ! आप तो हमारे महान् उपकारी हैं । मेरी भैस और उसके बच्चे को आपने खूब अच्छी तरह बचाया है। आपका वह उपकार हम भूले नहीं है । अब तो आपका बाल भी बांका नहीं होने देंगे। आज हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। हमें पता नहीं था कि यह आपकी कार है तथा इसमें आपकी धर्मपत्नी तथा बच्चे हैं। हमें माफ करो।" यों कहकर जो गहने और रुपये लिये थे, वे सब वापस दे दिये । गाड़ी को धक्का मारकर गाँव में ले गए। वहाँ डॉक्टर का खूब स्वागत किया। लुटेरों ने अन्त में कहा-“यदि हम उपकारी के गुण को भूल जाएँ तो हमें नरक में जाना पड़े।"
बन्धुओ ! चोर-लुटेरों में भी कितनी कृतज्ञता होती है, वे भी कृतघ्नता से डरते हैं।
एक अमेरिकन मासिकपत्र में एक फ्रेंच सैनिक ने अपनी आपबीती लिखी थी कि एक बार हम मित्रराज्यों के सैनिक नाजियों के हाथ में पड़ गये। हमें अंधेरी और संकड़ी कोठरी में डाल दिया । खूब यातनाएँ दी और क्रमशः सबको घसीटकर ले जाते और पूछने पर अपने राज्य का भेद न बताने पर गोली से उड़ा देते । अन्त में मेरा नम्बर आया । मुझे भी यातना देकर पूछताछ की। मैंने बताया कि जर्मनी तथा फ्रांस की सीमा पर एक छोटे-से गाँव में मेरा जन्म हुआ। मेरी बूढ़ी दादी ने मुझे पाला-पोसा । मेरे पड़ोस में जोन स्टोपल नामक एक शराबी रहता था। उसके जोसेफ स्टोपल नाम का एक लड़का था। जोन शराब पीकर अपने स्त्री-बच्चे को
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