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३२४ आनन्द प्रवचन : भाग ६
उत्पन्न आवेश के कारण द्वेष और प्रतिशोध से प्रारम्भ हुआ है, जो अब तक समाज को भारी क्षति पहुँचा रहा है ।
द्वेष और वैर से कुपित हो जाने पर भी मनुष्य चिरकाल तक बुद्धिभ्रष्ट हो जाता है ।
जो कुपित नहीं होता वही बुद्धिमान पुरुष है
इन सब बातों से यह सिद्ध हो जाता है कि जो केवल शिक्षित होता है, वह बुद्धिमान नहीं, किन्तु जो कुपित नहीं होता, क्रोध, द्वेष, आवेश आदि के प्रसंग पर अपना सन्तुलन नहीं खोता, वही बुद्धिमान है, वही उत्तम पुरुष है, विद्वान है । भारतीय संस्कृति के एक मनीषी का कथन है
यश्च नित्यं जितक्रोधो विद्वानुत्तमपुरुषः । क्रोधमूलो विनाशो हि प्रजानामिह दृश्यते ॥
जनता के विनाश का मूल प्रायः क्रोध ही दिखाई देता है । इसलिए जो प्रतिदिन क्रोध को जीत लेता है, वही विद्वान है और उत्तम पुरुष है ।
भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व० लालबहादुर शास्त्री ऐसे ही क्षमाशील पुरुष थे । वे क्रोध के प्रसंगों को मुस्कराकर टाल देते थे ।
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एक दिन शास्त्रीजी संसद भवन से लौटे। देखा तो उनके अपने कमरे में कूड़ा पड़ा था । घर के बच्चे यह बिखेर गये थे । सामान भी कुछ अस्त-व्यस्त था । ललिता जी रसोई में व्यस्त थीं । कोई और सामान्य व्यक्ति होता तो इस बात पर बहुत बिगड़ता । एक प्रधानमंत्री के बैठने का कमरा कुछ देर ही सही, गंदा रहे, यह बड़ी ही अनुचित एवं अशोभनीय बात थी । बड़े से बड़ा कोई भी व्यक्ति चाहे जब आ सकता था वहाँ । पर शास्त्रीजी इस भूल के लिए न तो नौकरों पर कुपित हुए और न ललिताजी पर । उन्होंने अपनी बुद्धि का सन्तुलन जरा भी न खोया और अपने ही हाथ से झाड़ू लगाने लगे । ललिताजी जब बाहर आईं तो उन्हें यह देखकर बड़ी ग्लानि
हुई
वास्तव में देखा जाए तो मनुष्य का जीवनक्रम और संसार का क्रियाकलाप कुछ ऐसे ढंग का है कि इसमें हर बात अपनी इच्छानुकूल नहीं हो सकती । हम चाहते हैं, वैसे ही दूसरे करें, वे भी हमारी इच्छानुसार अपने स्वभाव और संस्कार को एकदम बदल दें, यह आशा करना अनुचित है । अतः उचित यही है कि आप अपना स्वभाव या दिमाग संतुलित रखना सीखें। यदि किसी का व्यवहार अप्रिय है तो तलाश करें कि उसमें उसका कितना दोष था । कई बार परिस्थितियाँ, मजबूरियाँ एवं वस्तुस्थिति समझने की भूल के कारण लोग सहसा कुपित हो उठते हैं ।
वे बाद में तो पछताते हैं पर समय पर उन्हें यह सूझ आती ही नहीं । मनुष्य जहाँ श्रेष्ठ बुद्धि का धनी है, वहाँ वह त्रुटियों और दुर्बलताओं से भी
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