Book Title: Anand Pravachan Part 09
Author(s): Anand Rushi, Shreechand Surana
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 379
________________ परमार्थ से अनभिज्ञ द्वारा कथन : विलाप ३५६ अंधो अंध पहं नितो, दूरमद्वाण गच्छति । आवज्जे उप्पहं जन्तु, अदुवा पंथाणुगामिए ॥ 'अंधा आदमी अंधे को प्रेरित करके ले जाए तो वह विवक्षित मार्ग से पृथक मार्ग पर ले जाता है अथवा अंधा प्राणी उत्पथ पर जा चढ़ता है या अन्य मार्ग का अनुसरण करता है । ' 'अन्धेनैव नीयमाना यथान्धाः' (जैसे अंधों को अंधा ले जाता है, तो वह पतन के गर्त में उन्हें गिरा ही देता है) इस न्याय के अनुसार यहाँ भी अध्यात्मज्ञान के पथ से अनभिज्ञ अज्ञानान्ध व्यक्ति जब दूसरे अज्ञानान्ध लोगों का पथ प्रदर्शन करते हैं, तब वे उन्हें भी इसी प्रकार पतन के गर्त में गिरा देते हैं । ऐसे लालबुझक्कड़ों से सावधान कई बार कुछ चतुर लोग सारे गाँव का नेतृत्व करने के लिए गाँव के गँवार लोगों पर अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमानी एवं पाण्डित्य की छाप जमाते हैं और जो भी उनकी बुद्धि में सूझता है, वैसी बात भोली-भाली जनता के दिमाग में ठसा देते हैं । इससे नुकसान यह होता है कि भोली जनता की स्वयं की स्फुरणाशक्ति, परीक्षणनिरीक्षणशक्ति एवं निर्णयशक्ति कुण्ठित हो जाती है । वह तथाकथित लालबुझक्कड़ के बिना एक दिन भी या किसी भी मामले में यथार्थ कदम नहीं उठा सकती । वह सदैव अनिश्चित दशा में रहती है । एक गाँव में एक लालबुझक्कड़जी रहते थे । गाँव में जब भी कोई नई बात होती या किसी की समझ में कोई बात नहीं आती तो वे लालबुझक्कड़जी से पूछते थे । लालबुझक्कड़जी सही या गलत जो भी बता देते ग्रामीण लोग आँखें मूंदकर मान लेते । इस गलत मार्गदर्शन से कई बार गाँव के लोगों को मुसीबत भी उठानी पड़ी, फिर भी गाँव के भोले लोग 'बाबा वाक्यं प्रमाणं' की तरह अन्ततोगत्वा उन्हीं के पास सलाह लेने आते और जो वह कह देते उसे स्वीकार कर लेते । एक रात को गाँव में हाथी आ गया । गाँव के लोगों ने सुबह हाथी के पैर के निशान देखे तो वे आश्चर्य. में पड़ गये, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में हाथी कभी नहीं देखा था । सोचने लगे कहा - " चिन्ता जो भी बताएँगे - "पता नहीं, गाँव पर क्या मुसीबत आएगी ?" इतने में किसी ने क्यों करते हो ? चलो न अपने गाँव के लालबुझक्कड़जी के पास । वे तदनुसार कुछ उपाय करना होगा तो करेंगे ।” गाँव के बहुत से लोग लालबुझक्कड़जी के पास पहुँचे और उनसे निवेदन किया कि हमारे साथ चलकर देखिए तो ये किसके निशान हैं ? गाँव पर कौन-सी आफत उतने वाली है ? Jain Education International लालबुझक्कड़जी ने कहा - "चलो, मैं देखता हूँ, ये निशान किसके हैं ?" सब ने लालबुझक्कड़जी को ले जाकर काफी दूर तक वे हाथी के पदचिह्न दिखाए । पर For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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