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आनन्द प्रवचन : भाग ६
प्रियतम से मिल सकता है । आचारांग सूत्र के शब्दों में यतनाशील साधक की पहिचान होगी
"सुत्ताऽमुणिणो, मुणिणो सया जागरंति ।"
अमुत्ति सदा सोये रहते हैं, किन्तु मुनि सदैव जागृत रहते हैं । वास्तव में, मुनि का मार्ग काँटों का मार्ग है, नहीं-नहीं, इससे भी बढ़कर तीक्ष्ण तलवार की धार वाला पथ है, इस पर चलना कितना कठिन है ? यह आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं । इसीलिए उपनिषद् के एक ऋषि ने स्पष्ट कह दिया
"क्षरस्य धारा निशिता दुरत्यया, दुर्गं पथस्तत् कवयो वदन्ति || "
कवि कहते हैं— 'छुरे की तेज धार के समान वह दुर्लघ्य एवं दुर्गम पथ है ।' फिर भी जो यतनावान साधक हैं, उनके लिए यह मार्ग कठिन नहीं है, वे तो मौत को हथेली पर रखकर चलते हैं, प्रतिफल सावधान रहकर आगे बढ़ते हैं ।
आपने सर्कस के हाथी, शेर, चीता आदि के कमाल देखे होंगे । सर्कस में एक पतली-सी डोरी पर सर्कस के खिलाड़ी किस प्रकार चल लेते हैं ? यह कल्पना की बात नहीं, प्रत्यक्ष अनुभव की बात है । क्या सावधान यतनाशील साधक सर्कस के उस खिलाड़ी से बढ़कर साबित नहीं हो सकता ? अवश्य हो सकता है, अगर वह यतना की साधना करे तो ।
उपनिषद् में नचिकेता का एक आख्यान आता है कि वह यमाचार्य के पास आत्मविद्या - ब्रह्मज्ञान सीखने गया था । वहाँ यमाचार्य उसकी कठोर अग्नि परीक्षा लेने लगे । एक दिन गुरुमाता ने यम से निवेदन किया- " नचिकेता कुमार है, उसके साथ इतनी कठोरता क्यों ? १० महीने बीत गये, इसने गाय के दही और जो की सूखी रोटियों के सिवाय कुछ खाया नहीं, जबकि दूसरे बच्चे सरस, स्वादिष्ट भोजन करते रहे हैं, यह भेदभाव क्यों ?"
यमाचार्य ने मुस्कराते हुए कहा - " देवि ! तुम नहीं जानतीं, आत्मा - ब्रह्म को प्राप्त करने का उपाय भी यही है । साधना को 'समर' कहते हैं, युद्ध में तो अपने प्राण भी संकट में पड़ सकते हैं । कोई आवश्यक नहीं कि विजय ही उपलब्ध हो । अभी तो नचिकेता का अन्न- संस्कार ही कराया गया है । ब्रह्म विराट् है, अत्यन्त पवित्र है, अग्निरूप है, शरीर समर्थ न होगा तो नचिकेता इसे धारण कैसे करेगा ? छोटी-सी लकड़ी दस मन बोझ नहीं उठा सकती, टूट जाती है; पर तपाई, दबाई और पीटी हुई उतनी बड़ी लोहे की छड़ पचास मन बोझ उठा सकती है । नचिकेता
का यह अन्न- संस्कार उसके अन्नमय कोष द्रव्य निकालकर उसे आत्मा के साक्षात्कार साधना छुरे की धार पर चलने के समान प्रबल आत्मजिज्ञासु है । ऐसा व्यक्ति ही यह साधना कर सकता है ।"
के दूषित मलावरण, रोग और विजातीय योग्य, शुद्ध और उपयुक्त बना देगा | यह कठिन है, परन्तु नचिकेता साहसी और
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