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क्रुद्ध कुशील पाता है अकीर्ति
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प्रकार को बिगाड़ रखा था । राजदूत को बड़ा दुःख हुआ। उसने सरदार से पूछा"इस सुन्दर बाग के कोने पर यह गंदी झौंपड़ी क्यों खड़ी कर रखी है, जो बाग की शोभा बिगाड़ती है ?"
__ सरदार ने कहा-"जनाब ! इस झौंपड़ी ने हमारे बादशाह की न्यायप्रियता और दयालुता के गुणों के कारण प्राप्त हुई कीर्ति को सुरक्षित कर रखा है । अतः यह झोंपड़ी हमारे बादशाह की उज्ज्वल कीर्ति की प्रतीक है।"
राजदूत ने यह जानने की उत्सुकता प्रगट की तो सरदार ने बताया-बादशाह नौशेरवाँ जिस समय यह बाग लगवा रहे थे, तो उसके नक्शे में यह झौंपड़ी पड़ी। झौंपड़ी एक बुढ़िया की थी। बादशाह ने उस बुढ़िया को बुलाकर समझायायह झोंपड़ी मुझे दे दे, तू जो चाहे, सो मोल इसका ले ले । मेरे बाग का नक्शा सही हो जाएगा।
लेकिन वह बुढ़िया किसी भी मूल्य पर तैयार न हुई । उसने बादशाह से कहा "तू बादशाह है। तेरे पास लम्बा-चौड़ा देश है, जहाँ चाहे बाग लगवा ले, पर मुझसे अपने पुरखों की झोंपड़ी क्यों छीनना चाहता है ? कुछ दिनों में मैं मर जाऊँगी, तब इसे उजाड़कर बाग लगा लेना । मेरे रहते मेरे पुरखों की इस निशानी को मिटाने की मत सोच ।”
बादशाह नौशेरवाँ ने बुढ़िया की भावना समझी और अपनी कीर्ति नष्ट न होने देने के लिए, न्याय के नाते अपना बाग बिगाड़ लिया, लेकिन बुढ़िया की झोंपड़ी सही सलामत खड़ी रहने दी। बुढ़िया अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन बादशाह के न्याय और दया की प्रतीक उसकी झौंपड़ी अब भी बरकरार है। राजदूत ने जब यह सुना तो आश्चर्यचकित होकर बोला---'न्याय और दया की साक्षी इस गंदी झौंपड़ी ने बादशाह नौशेरवाँ की कीर्ति और बड़प्पन को इस महल और बाग से ज्यादा बढ़ा दिया है।"
सचमुच, बादशाह की इस न्यायप्रियता के कारण उसकी कीर्ति में चार चाँद लग गए। मैं आपसे पूछता हूँ कि अगर नौशेरवाँ बुढ़िया से सत्ता के बल पर जबर्दस्ती उसकी झोंपड़ी ले लेता और अपना बाग सुन्दर बनवा लेता तो क्या उसकी यह कीर्ति जो आज तक न्यायी नौशेरबाँ के नाम से जनजीवन में फैली हुई है, सुरक्षित रहती ? कदापि नहीं रहती। वह नष्ट हो जाती और उसके नाम पर अपकीर्ति (बदनामी) का काला कलंक लग जाता।
स्वर्ग का सबसे सुन्दर मार्ग शुक्राचार्य ने कीर्ति का मार्ग बताया है। उन्होंने शुक्रनीति में कहा है
भूमौ यावद्यस्य कोतिस्तावत्स्वर्ग स तिष्ठति ।
अकोतिरेव नरको नाऽन्योऽस्ति नरको दिवि ।। "जिसकी कीर्ति जब तक इस पृथ्वी पर टिकती है, तब तक समझ लो, वह
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