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सौम्य और विनीत को बुद्धि स्थिर : १ ६६ अभी रात के दस बजे हैं। आज अच्छा मौका है, बेगम को अपने भाई की योग्यता और बुद्धि का परिचय करवा दूं, ताकि रोज की खटखट मिट जाए। बादशाह ने तुरन्त आवाज लगाई-"ड्योढ़ी पर कौन है ?" साला फौरन अन्दर आया और "जी हजूर ! हाजिर हूँ।" कहकर सामने खड़ा रहा। बादशाह ने कहा-"जरा पता लगाओ तो ये बाजे कहाँ बज रहे हैं ?" ..
साला बोला-"अभी पता लगाकर आता हूँ। मैं खुद ही जाता हूँ।" यों कहकर साला तत्काल चल पड़ा।
बादशाह ने बेगम से कहा—आज तुम्हारे भाई की बुद्धि की परीक्षा है ? इसलिए न रातभर तुम्हें सोना है, न मुझे ।"
दिल्ली बहुत लम्बी-चौड़ी नगरी। फिरते-फिरते बड़ी मुश्किल से साला वहाँ पहुँचा, जहाँ बाजे बज रहे थे । साले ने उस मुहल्ले का नाम पूछा और लौट पड़ा। आकर बादशाह से कहा- "हजूर ! ये बाजे अमुक मुहल्ले में बज रहे हैं।"
बादशाह ने पूछा- "क्यों बज रहे हैं ?" ____ "यह तो मैंने नहीं पूछा।" बादशाह ने कहा-'अच्छा फिर जाओ, पूछकर आओ।" साला फिर वहीं पहुंचा और पूछताछ की कि ये बाजे क्यों बज रहे हैं ? वहाँ उपस्थित लोगों ने कहा-"विवाह के कारण बाजे बज रहे हैं।" साले ने आकर बादशाह को रिपोर्ट दी । बादशाह ने पूछा- "विवाह किसका है ? बेटे का है या बेटी का ?" "यह तो मैंने नहीं पूछा, आप कहें तो पूछ आऊँ ?" साले ने कहा। बादशाह ने कहा- "हाँ, जल्दी पूछ आओ।" साले ने वहाँ जाकर पूछा तो पता लगा कि बेटी की शादी है। बादशाह को जब उसने यह रिपोर्ट दी तो उन्होंने पूछा-'अच्छा, यह बारात कहाँ से आएगी?" साले ने बादशाह के अनुरोध से विवाह वाले के यहाँ जाकर फिर पूछा- 'बारात कहाँ से आएगी?" उन लोगों ने जिस नगर का नाम वताया, था" साले ने बादशाह से आकर कह दिया । पर बादशाह यों झटपट छोड़ने वाले नहीं थे। अतः पूछा- "शादी कौन सी कौम में है ?'' साले ने कहा--"हजूर ! यह तो मैंने नहीं पूछा।" बादशाह ने आदेश दिया-'अच्छा, जल्दी पूछकर आओ।"
इधर बेगम बैठी-बैठी हैरान हो गई थी। उसकी आँखों में नींद की झपकी आ रही थी। अतः तिलमिलाकर कहने लगी-'हो गई न परीक्षा ! अब तो इसका पिण्ड छोड़ो।"
बादशाह-''आज तो पूरी परीक्षा लेनी है। अन्यथा, तुम्हें अपने भाई और वीरबल दोनों की बुद्धि एवं योग्यता का पता कैसे चलेगा ?" इतने में साला पता लगाकर आया और बोला-"विवाह हिन्दुओं में है।' बादशाह ने पूछा-"किस जाति में है, ब्राह्मणों में है या बनियों में ?"
साला बोला-“यह तो मैंने नहीं पूछा, हजूर !"
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