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सौम्य और विनीत को बुद्धि स्थिर : २
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वास्तव में स्थिरबुद्धिशील मानव श्रेष्ठ ज्ञय को जानने के लिए और सर्वोत्तम आचरणीय वस्तुओं का आचरण करने के लिए तत्पर रहता है । जैसे सांप या सिंह को सामने आते देखकर मनुष्य तत्काल उससे दूर हटने का प्रयत्न करता है, वह उस समय यह नहीं सोचता कि अभी तो नहीं फिर कभी हट जाऊँगा, कल कर लूँगा वैसे ही स्थिरबुद्धि व्यक्ति अपने पापों या दोषों को जानकर उन्हें तत्काल दूर करने का प्रयत्न करता है, आगे पर नहीं छोड़ता । नीतिकार उन स्थिरबुद्धि पुरुषों की विशेषता बताते हैं
उपाय सन्दर्शनजां
विपत्तिमपायसंदर्शनजां च सिद्धिम् ।
मेधाविनो नीतिविधिप्रयुक्तां पुरः स्फुरन्तीमिव दर्शयन्ति ॥
मेधावी पुरुष विपत्ति को उपाय के दर्शन के साथ और नैतिक विधि से प्रयुक्त सिद्धि को अपाय के दर्शन के साथ अपने सामने स्फुरित होती हुई-सी देखते हैं । तात्पर्य यह है कि स्थिरबुद्धिपुरुष के बुद्धि-पट पर विपत्ति और कार्यसिद्धि के साथसाथ क्रमशः उनके उपाय और अपाय (विघ्न) पहले से ही चित्रित हो जाते हैं । एक पाश्चात्य विचारक लेक्टेण्टियस (Lactantius ) स्थिरबुद्धि के दो मुख्य कार्य बताता
"The first point of wisdom is to discern that which is false, the second to know that which is true."
'बुद्धि का प्रथम दृष्टिबिन्दु है, जो असत्य है उस पर ठीक विचार करना, और दूसरा दृष्टिबिन्दु है— जो सत्य है, उसे जानना ।' स्थिरबुद्धि ही इन दोनों दृष्टिबिन्दुओं से विचार कर सकती है । जिसकी बुद्धि चंचल है, काम-क्रोधादि आवेशों से युक्त है, वह कदापि इन दो दृष्टिबिन्दुओं को नहीं अपना सकता। ऐसी स्थिरबुद्धि ही शास्त्रों का यथार्थ अर्थ कर सकती है, उस पर चिन्तन-मनन एवं ऊहापोह ठीक ढंग से कर सकती है । इसी बात का समर्थन एक विद्वान् ने किया है
बुद्धिबोध्यानि शास्त्राणि, नाबुद्धिः शास्त्रबोधकः । प्रत्यक्ष ेऽपि कृते दीपे, चक्ष होनो न पश्यति ॥
शास्त्रों का बोध बुद्धि (स्थिरबुद्धि) से होता है, अबुद्धि शास्त्रों का बोध नहीं कर सकती । दीपक सामने जल रहा हो, फिर भी नेत्रहीन व्यक्ति उसे नहीं देख
सकता ।
बुद्धि किसकी स्थिर,
किसकी नहीं ?
रहने, पलायन न
महर्षि गौतम ने स्थिरबुद्धि या बुद्धि के एकाग्र या स्थिर करने का एक अद्भुत नुस्खा बता दिया है, इस सूत्र में । उन्होंने यह स्पष्टतः बता दिया है कि जो व्यक्ति विनीत है, नम्र है, निरहंकारी है, तथा जो क्रोधादि प्रचण्ड आवेशों से युक्त नहीं है, सौम्य है, बुद्धि उसकी सेवा में हर समय रहती है । इससे
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