________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक 38 m my 20 अल्प अदत्त लेने का प्रायश्चित्त अदत्तनिषेध के आगमस्थल / अंगोपांग प्रक्षालन का प्रायश्चित्त अखण्ड चर्म रखने का प्रायश्चित्त "कसिण" शब्द से चार प्रकार के चर्म उपकरण / 23 बहमूल्य वस्त्र रखने का प्रायश्चित्त कृत्स्न के विकल्प एवं प्रायश्चित्त, अल्पमूल्य-बहुमूल्य / 24 अभिन्न वस्त्र रखने का प्रायश्चित्त अभिन्न वस्त्र रखने के दोष / 25-26 पात्र, दण्ड आदि के सुधार कार्य स्वयं करने का प्रायश्चित्त 27-31 अन्य की गवेषणा के पात्र लेने का प्रायश्चित्त 32 निमन्त्रित पिड ग्रहण करने का प्रायश्चित्त नियागपिंड के रूपान्तरित शब्द, विशेषार्थ, दो-चार दिन लगातार गोचरी का कल्प / 33-36 दानपिंड ग्रहण करने का प्रायश्चित्त शब्दार्थ, दान कूलों के प्रकार, वहां जाने में दोष, 'नियपिड' के गवेषणा दोष होने का भ्रम, आगम प्रमाणों से सिद्धि / नित्य निवास का प्रायश्चित्त कालातिक्रांत क्रिया, उपस्थानक्रिया, नित्य निवास से दोष, कल्प उपरांत ठहरने का अपवाद / दाता की प्रशंसा करने का प्रायश्चित्त / पूर्वसंस्तव, पश्चातसंस्तव की व्याख्या, प्रशंसा करने के हेतु, दान की प्रशंसा का विवेक / अनुरागी कुलों में दुबारा भिक्षार्थ जाने का प्रायश्चित्त दुबारा जाने के दोष एवं हेतु / 40-42 अन्य भिक्षाचरों के साथ गमनागमन का प्रायश्चित्त शब्दार्थ, किसके साथ जाना, सूत्रोक्त व्यक्तियों के साथ जाने में संभावित दोष / मनोज्ञ जल पीने और अमनोज परठने का प्रायश्चित्त अचित्त जल की गवेषणा विधि, योग्यायोग्य जल की परीक्षा के लिए चखना, विभिन्न रस के पानी और उनके लेने रखने के विवेक, परठने में अपवाद / मनोज्ञ भोजन खाने, अमनोज परठने का प्रायश्चित्त मुख्य शब्दों के अर्थ एवं पर्यायवाची शब्द, आहार परठने में अपवाद / 46-47 44 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org