________________ बारहवां उद्देशक] [219 इस प्रकार बृहत्कल्प उद्देशक 3 तथा 4 के सूत्र का सार यह है कि अपने उपाश्रय से सभी दिशाओं में आहार ले जाना या लाना दो-दो कोस तक कल्पता है और वहां से मल-विसर्जन के लिये जाना आवश्यक हो तो प्राधा कोस तक और आगे जाना कल्पता है। रात्रिविलेपन प्रायश्चित्त 34. जे भिक्खू दिया गोमयं पडिग्गाहेत्ता दिया कायंसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 35. जे भिक्खू दिया गोमयं पडिग्गाहेत्ता रत्ति कार्यसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 36. जे भिक्खू रत्ति गोमयं पडिग्गाहेत्ता दिया कायंसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 37. जे भिक्खू रत्ति गोमयं पडिग्गाहेत्ता रत्ति कायंसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 38. जे भिक्खू दिया आलेबणजायं पडिग्गाहेत्ता दिया कायंसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 39. जे भिक्खू दिया आलेवणजायं पडिग्गाहेत्ता रत्ति कायंसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 40. जे भिक्खू रत्ति आलेवणजायं पडिग्गाहेत्ता दिया कार्यसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 41. जे भिक्खू रत्ति आलेवणजायं पडिग्गाहेत्ता रत्ति कार्यसि वणं आलिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ / 34. जो भिक्षु दिन में गोबर ग्रहण कर दूसरे दिन शरीर के व्रण पर आलेपन या विलेपन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है / 35. जो भिक्षु दिन में गोबर ग्रहण कर रात्रि में शरीर के व्रण पर आलेपन या विलेपन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है। 36. जो भिक्षु रात्रि में गोबर ग्रहण कर दिन में शरीर के व्रण पर मालेपन या विलेपन करता है या करने वाले का अनुमोदन करता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org