________________ सत्रहवां उद्देशक] [381 प्रवृतियों में बाधा आने से अथवा अन्य भी ऐसे कारणों से गर्मागर्म आहार-पानी को ग्रहण करने का निषेध समझना चाहिये तथा सामान्य गर्म प्रशनादि को वायुकाय आदि की विराधना किये बिना ग्रहण किया जा सकता है, ऐसा समझना चाहिये। यहां अनेक प्रतियों में गर्म आहार-पानी सम्बन्धी प्रायश्चित्त के दो सूत्र मिलते हैं, किन्तु भाष्य एवं चूणि में एक ही सूत्र की व्याख्या करके विषय पूर्ण किया गया है एवं आचारांगसूत्र में भी एक ही सूत्र है / अतः यहाँ भो मूलपाठ में एक सूत्र ही रखा गया है / तत्काल धोये पानी को ग्रहण करने का प्रायश्चित्त 133. जे भिक्खू-१. उस्सेइमं वा, 2. संसेइमं वा, 3. चाउलोदगं वा, 4. वारोदगं वा, 5. तिलोदगं वा, 6. तुसोदगं वा, 7. जवोदगं वा, 8. आयामं वा, 9. सोवीरं वा, 10. अंबकजियं वा, 11. सुद्धवियडं वा। 1. अहुणाधोयं, 2. अणंबिलं, 3. अवुक्कतं, 4. अपरिणयं 5. अविद्वत्थं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ। 133. जो भिक्षु-१. उत्स्वेदिम, 2. संस्वेदिम, 3. चावलोदक, 4. वारोदक, 5. तिलोदक, 6. तुषोदक, 7. यवोदक, 8. ओसामण, 9. कांजी, 10. आम्लकांजिक, 11. शुद्ध प्रासुक जल / 1. जो कि तत्काल धोया हुआ हो, 2. जिसका रस बदला हुआ न हो, 3. जीवों का अतिक्रमण न हुअा हो, 4. शस्त्रपरिणत न हुआ हो, 5. पूर्ण रूप से अचित्त न हुआ हो / ऐसे जल को ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त पाता है।) विवेचन-आगमों में अनेक जगह अचित्त शीतल जल अर्थात् धोवण पानी के नामों का कथन है / उनमें ग्राह्य पानी ग्यारह ही हैं, जो इस सूत्र में कहे गये हैं। इससे अधिक नाम जो भी उपलब्ध हैं वे सब अग्राह्य कहे गये हैं। ग्राह्य धोवण पानी बनने के बाद तुरन्त ग्राह्य नहीं होता है। करीब आधा घण्टा या मुहूर्त के बाद ग्राह्य होता है / चूर्णिकार ने समय-निर्धारण न करते हुए बुद्धि से ही समय निर्णय करने को कहा है / तत्काल लेने पर तो प्रस्तुत सूत्रानुसार प्रायश्चित्त आता है / __आगमों में अनेक प्रकार के अचित्त एवं एषणीय पानी लेने का विधान है और मचित्त एवं अनेषणीय पानी लेने का निषेध है। 1. लेने योग्य पानी के 10 नाम हैं-- देखिए--- प्रा० सू० 2, अ० 1, उ० 7, सू० 369-370 -दश० अ० 5, उ०१, गा० 106 (75) 2. न लेने योग्य पानी के 12 नाम हैं-देखिए-आ० सू० 2, अ० 1, उ० 8, सू० 373 / लेने योग्य पानी के आगमपाठ में और न लेने योग्य पानी के आगमपाठ में निश्चित संख्या सूचित नहीं है, किन्तु लेने योग्य पानी के आगमपाठ में अन्य भी ऐसे लेने योग्य पानी लेने का विधान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org