________________ सत्रहवां उद्देशक] 8. सौवीर-कांजी का जल, गर्म लोहा, लकड़ी आदि डुबाया हुआ पानी, 9. शुद्धविकट हरड़ बहेड़ा राख आदि पदार्थों से प्रासुक बनाया गया जल, 10. वारोदक---गुड़ आदि खाद्य पदार्थों के घडे (बर्तन) का धोया जल, 11. ग्राम्लकांजिक-खट्टे पदार्थों का धोवण या छाछ की प्राछ / बारह प्रकार के अग्राह्य धोवण-पानी 1. अाम्रोदक-अाम्र का धोया हया पानी, 2. अम्बाडोदक-आम्रातक (फल विशेष) का धोया हुआ पानी, 3. कपित्थोदक-कैथ या कवीठ का धोया हुअा पानी, 4. बीजपूरोदक-बिजोरे का धोया हुआ पानी, 5. द्राक्षोदक-दाख का धोया हुआ पानी। 6. दाडिमोदक-अनार का धोया हुआ पानी, 7. खजू रोदक-खजूर का धोया हुआ पानी, 8. नालिकेरोदक-नारियल का धोया हुआ पानी, 9. करीरोदक-कैर का धोया हुआ पानी, 10. बदिरोदक-बेरों का धोया हुआ पानी, 11. पामलोदक--प्रांवलों का धोया हुआ पानी, 12. चिचोदक-इमली का धोया हुआ पानी। इनके सिवाय गर्म जल भी ग्राह्य कहा गया है, जो एक ही प्रकार का होता है। पानी के अग्नि पर पूर्ण उबल जाने पर वह अचित्त हो जाता है / अर्थात् गर्म पानी में हाथ न रखा जा सके, इतना गर्म हो जाना चाहिये / इससे कम गर्म होने पर पूर्ण अचित्त एवं कल्पनीय नहीं होता है / टीका आदि में तीन उकाले आने पर अचित्त होने का उल्लेख मिलता है। उक्त आगमस्थलों से स्पष्ट है कि धोवण-पानी अर्थात अचित्त शीतल जल अनेक प्रकार का हो सकता है। आगमोक्त नाम तो उदाहरण रूप में हैं। आटा, चावल आदि किसी खाद्य पदार्थ को धोया हुआ पानी या खाद्य पदार्थ के बर्तन को धोया हुआ पानी अथवा अन्य किसी प्रकार के पदार्थों से पूर्ण अचित्त बना हुआ पानी भिक्षु को लेना कल्पता है। दशवकालिक अ० 5 उ०१ गा० 76-81 के कथनानुसार अचित्त पानी को ग्रहण करने के साथ यह विवेक भी अवश्य रखना चाहिये कि क्या यह पानी पिया जा सकेगा? इससे प्यास बुझेगी या नहीं ? इसका निर्णय करने के लिए कभी पानी को चखा भी जा सकता है। कदाचित ऐसा पानी ग्रहण कर लिया गया हो तो उसे अनुपयोगी जानकर एकान्त निर्जीव भूमि में परठ देना चाहिए। इस सूत्र में 'सोवीर' और पाम्लकांजिक दोनों शब्दों का प्रयोग है जबकि अन्य प्रागमों में एक 'सौवीर' शब्द ही कहा गया है / इसका अर्थ टीका आदि में--कांजी का पानी, पारनाल का पानी आदि किया गया है। हिन्दी शब्दकोष में कांजी के पानी का स्पष्टीकरण करते हुए-नमक जीरा आदि पदार्थों से बनाया गया स्वादिष्ट एवं पाचक खट्टा पानी कहा है। इससे यह अनुमान होता है कि सौवीर शब्द का ही पर्यायवाची 'ग्राम्लकांजिक' शब्द है, जो कभी पर्यायवाची रूप में यहाँ जोड़ा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org